नई दिल्‍ली: राजनीति में अपराधीकरण पर लगाम लगाने के बड़े-बड़े दावे हर मंच से किए जाते रहे हैं, लेकिन राजनीति और अपराध का गठबंधन किसी से छिपा हुआ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी अब इसकी प्रमाण दे दिए हैं. अदालत ने बताया है कि पूर्व और मौजूदा सांसदों व विधायकों पर 4122 आपराधिक मामले लंबित हैं, इनमें से कुछ मामले तो लगभग तीस वर्ष पुराने हैं, जिनका कोई निर्णय नाह हो पाया है. शेयर बाजार: मामूली गिरावट के साथ खुला बाजार, बढ़त की उम्मीद बरक़रार प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ एक जनहित याचिका पर वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों से संबंधित मसलों पर मंगलवार को विचार करेगी. शीर्ष अदालत ने राज्यों तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों से वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की रिपोर्ट मांगी थी, ताकि ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए पर्याप्त संख्या में विशेष अदालतों को गठित किया जा सके. पेट्रोल-डीजल : लगातार 13वें दिन घटी कीमतें, जानिये आज के दाम सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को सूचना दी गई कि संसद और विधानसभाओं के वर्तमान और कुछ पूर्व सदस्यों के खिलाफ तीन दशक से भी अधिक समय से 4,122 आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया और अधिवक्ता स्नेहा कालिता इस मामले में शीर्ष न्यायालय को राज्यों और उच्च न्यायालयों से प्राप्त डेटा पेश किया. यह डेटा बताता है कि 264 मामलों में उच्च न्यायालयों ने सुनवाई पर रोक लगा दी है. यही नहीं, वर्ष 1991 से लंबित कई मामलों में तो आरोप तक तय नहीं किए गए हैं. आज शीर्ष अदालत अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्चिनी उपाध्याय की उस याचिका पर अदालत सुनवाई करने वाली है जिसमें आपराधिक मामलों में दोषी सिद्ध नेताओं पर ताउम्र प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई गई है. खबरें और भी:- 31,700 करोड़ रुपये में बिका हॉरलिक्स, भारतीय कंज्यूमर बाजार की अब तक की सबसे बड़ी डील मुंबई: गोरेगांव के पास जंगल में लगी अचानक आग गोएयर एयरलाइन का धमाका, अब हजार रुपये से भी कम कीमत में ले सकते है सवाई सफर का मजा