नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) को भंग कर दिया है और कहा है कि जांच पूरी हो चुकी है और सुनवाई चल रही है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को मामले की जांच कर रही SIT की निगरानी के काम से मुक्त कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को आदेश जारी करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह भी कहा कि यदि SIT के पुनर्गठन की कोई आवश्यकता हुई, तो एक उचित आदेश पारित किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने मामले की उत्तर प्रदेश पुलिस SIT की जांच की दैनिक आधार पर निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था। तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, एसबी शिरोडकर, दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान SIT का हिस्सा थे। शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत 26 सितंबर तक बढ़ा दी थी, जो मामले में अभियोजन का सामना कर रहे हैं। अक्टूबर 2021 में, प्रदर्शनकारी किसानों को कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने कुचल दिया था। जब किसान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे, तब भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस की FIR के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। घटना के बाद, गुस्साए किसानों ने ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी। आशीष मिश्रा समेत 13 लोगों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और मोटर वाहन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। इन आरोपों में दंगा, गैरकानूनी सभा, हत्या, हत्या का प्रयास, गंभीर चोट पहुंचाना, शरारत, आपराधिक साजिश और मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन शामिल है। 'राज्यसभा के उपसभापतियों के पैनल में अब 50% महिला सांसद..', उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया ऐलान 'भाजपा सरकार जल्द चुनाव कराए तो भी..', सीएम नितीश कुमार ने किया बड़ा ऐलान कल से नए संसद भवन में चलेगा सदन, तो क्या 96 साल पुरानी ईमारत तोड़ दी जाएगी ?