उद्धव बनाम एकनाथ मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया फैसला, जानिए क्या है आदालत का आदेश

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय की 5 संविधान पीठ ने आज शुक्रवार (17 फ़रवरी) को 2022 के महाराष्ट्र सियासी संकट से जुड़े नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा के सवाल को 7 जजों की बड़ी बेंच को नहीं भेजा. बता दें कि, उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट 2016 के नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर के फैसले की पुनः समीक्षा की मांग करते हुए बड़ी पीठ भेजने की मांग की थी. जिसके बाद शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा की मांग को मुख्य मामले की योग्यता के साथ सुना जाएगा और समीक्षा के लिए बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा.

प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दाखिल मामलों के एक बैच पर आदेश पारित किया. बता दें कि, 2022 के सियासी उलटफेर के कारण महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ था. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों के बगैर रेफरेंस के मुद्दे को अलग से निर्धारित नहीं किया जा सकता है। रेफरेंस के मुद्दे को सिर्फ मामले की योग्यता के आधार पर तय किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए। अदालत ने इस मामले की योग्यता के आधार पर 21 फरवरी से सुबह 10:30 बजे सुनवाई होगी. संविधान पीठ ने बुधवार (16 फ़रवरी) को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल, 2016 में नबाम रेबिया मामले 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि यदि स्पीकर के खिलाफ हटाने का प्रस्ताव पेंडिंग है, तो विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर फैसला नहीं ले सकते. अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तिथि मुक़र्रर की गई है. फैसले के बाद से अब यह स्पष्ट हो गया है कि शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ही इस मामले पर सुनवाई करेगी.  

अब महज 5 दिन में हो जाएगा पासपोर्ट का सत्यापन, अमित शाह ने किया आनलाइन सुविधा का लोकार्पण

कर्नाटक में कांग्रेस का अनोखा विरोध, कान में 'फूल' लगाकर विधानसभा पहुंचे नेता

'राष्ट्रवाद' के धुर विरोधी जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी पर लगाया आरोप, स्मृति ईरानी ने किया पलटवार

Related News