नई दिल्ली: बहुचर्चित अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में कांग्रेस का रुख किसी से छुपा नहीं है। कांग्रेस सत्ता में रहने के समय बाकायदा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह कह चुकी है कि, राम कभी हुए ही नहीं और वे एक कल्पना मात्र है। हालांकि, कई सालों तक चली इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुना दिया और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का आदेश दिया। किन्तु, अब कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी विश्वास नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी (Rashid Alvi) ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और राम जन्मभूमि मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता का कहना है कि काफी सारे लोग मानते हैं कि राम जन्मभूमि मामले में शीर्ष अदालत का फैसला सरकार के दबाव में दिया गया था। उन्होंने साथ ही कहा है कि न्यायमूर्तियों को सरकारी जॉब देना दुर्भाग्यपूर्ण है। अल्वी ने कहा कि, एक रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत के 50 फीसद रिटायर्ड जजों को सरकार कहीं न कहीं भेज देती है। इससे लोगों का विश्वास न्यायपालिका में कम होता जाता है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को अभी तो राज्यसभा भेजा गया था। अब सरकार ने न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर साहब को राज्यपाल बना दिया। कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने आगे कहा कि, 'राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले पर काफी लोग सवालिया निशान लगाते चले आ रहे हैं कि यह सरकार के दबाव में दिया गया है। जस्टिस गोगोई के बाद जस्टिस नजीर को राज्यपाल बनाना, उन लोगों के संदेह को और मजबूत करता है। संविधान का आर्टिकल 50 कहता है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका अलग-अलग होना चाहिए। सरकार को प्रयास करनी चाहिए की न्यायपालिका बिल्कुल अलग हो और उसका कार्यपालिका से कोई वास्ता न हो।' वहीं हाल ही में अपने पद से त्यागपत्र देने वाले महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि वह निरंतर ऐसे बयान देते रहें हैं, जो RSS की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु के राज्यपाल भी यही काम कर रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के कई गवर्नर यही काम कर रहे हैं। केरल का गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान यही काम कर रहा है। कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने कहा कि, 'राज्यपाल ने संविधान की रक्षा करने की जगह RSS और भाजपा की विचारधारा की बात करते हैं। उन्हें लगता होगा कि यदि भाजपा व संघ की लीडरशिप खुश होगी तो उन्हें और तरक्की मिलेगी।' बता दें कि, न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति गोगोई राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देने वाले 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ का हिस्सा थे। न्यायमूर्ति नजीर हाल ही में 4 जनवरी 2023 को शीर्ष अदालत के जज के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जस्टिस नजीर ‘तीन तलाक’ मामले पर फैसला देने वाले न्यायमूर्तियों में शामिल थे। दिल्ली: महरौली में DDA की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई चौथे दिन भी जारी, पुलिसबल तैनात कानपुर में हृदयविदारक घटना, बुलडोज़र एक्शन के दौरान लगी आग, जिन्दा जली माँ-बेटी, 24 पर FIR चेन्नई ओपन चैलेंजर में नागल और मुकुंद ने मुख्य ड्रॉ में बनाया अपना स्थान