नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता नवाब मलिक को चिकित्सा आधार पर दो महीने के लिए जमानत दे दी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी के पैनल के अनुसार, जमानत आदेश योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि चिकित्सा कारणों पर दी गई है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि, "वह (मलिक) गुर्दे की बीमारी और अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल में हैं। मुख्य याचिका पर 5 सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए और उसके बाद 3 सप्ताह में प्रत्युत्तर दाखिल किया जाए। 10 सप्ताह के बाद सूची दी जाए। जमानत दे दी गई है। हम चिकित्सा शर्तों पर सख्ती से आदेश पारित कर रहे हैं और योग्यता दर्ज नहीं की गई।'' यह फैसला मलिक द्वारा अंतरिम चिकित्सा जमानत याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका के जवाब में जारी किया गया था। बता दें कि ED ने कुछ संपत्तियों के लिए बाजार मूल्य से कम भुगतान करने के संदेह में नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था। मई 2022 में एक विशेष PMLA अदालत द्वारा आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद मलिक ने साधारण जमानत के लिए याचिका दायर की। 30 नवंबर, 2022 को मुंबई की विशेष अदालत द्वारा मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद मलिक ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। मलिक ने रश्मिकांत एंड पार्टनर्स के माध्यम से दायर अपनी उच्च न्यायालय याचिका में दावा किया कि विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को जमानत देने के अपने फैसले में उच्च न्यायालय की टिप्पणियों को नजरअंदाज कर दिया। उच्च न्यायालय ने शुरू में चिकित्सा आधार पर मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई की और उस संकीर्ण आधार पर याचिका को सुरक्षित रख लिया। इसके बाद इसने मेडिकल जमानत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वर्तमान अपील हुई। 'जल्द से जल्द देश छोड़ दें..', नाइजर में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी रतलाम में 'सर तन से जुदा' का नारा लगाने वालों को लेकर एक्शन में आई सरकार, अब होगी NSA की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई लोकसभा, अध्यक्ष ओम बिरला ने दी सदन में हुए कामकाज की जानकारी