हैदराबाद: सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार को केंद्र सरकार समेत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार को नोटिस भेजा है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस तथा बीडीएस समेत पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित किए जाने वाले नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के मामले में ओबीसी आरक्षण को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाते हुए दाखिल की गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह नोटिस भेजा है। चंद्रशेखर का अखिलेश से सवाल, कहा - चमार रेजिमेंट का वादा क्यों भूल गए ? सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने नेशनल बैकवर्ड क्लासेस फेडरेशन के चेयरमैन जस्टिस वी. ईश्वरय्या द्वारा दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए यह नोटिस भेजा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के ध्यान में यह बात लाई की नेशनल पूल के अंतर्गत सीटों की भर्ती के दौरान ओबीसी आरक्षण को नज़रअंदाज़ किया गया है। यह भी कहा गया है कि एससी/एसटी आरक्षण पर अमल किया जा रहा है, किन्तु ओबीसी आरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एमबीबीएस और बीडीएस जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रदेश सरकार ने 15 फीसद सीटें राष्ट्रीय पूल के लिए आवंटित की है। पीएम मोदी हिटलर के समान, राहुल को मिले प्रधानमंत्री बनने का मौका - राज ठाकरे इसके साथ ही उन्होंने बताया है कि पीजी मेडिकल और पीजी डिप्लोमा की सीटों के मामले में नेशनल पूल के लिए 50 फीसद सीटें आवंटित की गई है। इतनी बड़ी मात्रा में सीटें आवंटित करने के बाद भी औबीसी आरक्षण की अंदेखी हो रही है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि 2018-19 के दौरान ओबीसी आरक्षण नहीं देने की वजह से ओबीसी को 1028 एमबीबीएस और बीडीएस एंव 1911 पीजी मेडिकल की सीटों का नुकसान हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय के सचिवों, नीट का संचालन करने वाले स्वास्थ्य आयुर्विज्ञान के महानिदेशालय के साथ ही आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किए हैं। खबरें और भी:- आज उत्तराखंड में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे सचिन पायलट VIDEO: जम्मू में नवजोत सिद्धू का जबरदस्त विरोध, लगे मोदी-मोदी के नारे कांग्रेस की हालत टाइटैनिक की तरह है, ये हर एक नए दिन के साथ डूबती जा रही है : पीएम मोदी