नई दिल्ली: तीन तलाक सहित कई बड़े फैसले देने वाले सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज न्यायमूर्ति रोहिंटन फॉली गुरुवार यानी आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं. IT एक्ट की धारा 66 ए को निरस्त करने का फैसला उन्ही ने दिया था. उनके अन्य फैसलों में :LGBT अधिकार, निजता को मौलिक अधिकार, तीन तलाक ख़त्म करने का फैसला शामिल है. उन्हें 7 जुलाई 2014 को वरिष्ठ वकील से सीधे सर्वोच्च न्यायालय का जज बनाने की केंद्र सरकार ने संस्तुति दी थी. उनके सेवानिवृत्त होने के साथ ही एक बार फिर रिक्तियों का मुद्दा स्पॉट लाइट में आएगा. कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय ओका वरिष्ठता सूची में नंबर 1 पर हैं, इसके बाद त्रिपुरा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी हैं. जस्टिस ओका का पैरेंट हाई कोर्ट, बॉम्बे HC है, जबकि जस्टिस कुरैशी गुजरात उच्च न्यायालय से हैं. जस्टिस नरीमन के रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट में 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले सिर्फ 25 न्यायाधीश होंगे. इसके साथ ही जस्टिस नवीन सिन्हा 19 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिसके बाद शीर्ष अदालत में रिक्तियों की संख्या 10 पर पहुंच जाएगी. शीर्ष अदालत में आखिरी नियुक्ति सितंबर 2019 में हुई थी और सबसे पहली रिक्ति नवंबर 2019 में आई थी जब पूर्व CJI रंजन गोगोई सेवानिवृत्त हुए थे. इस सप्ताह, जस्टिस नागेश्वर राव कॉलेजियम में न्यायमूर्ति नरीमन की जगह लेंगे और आम सहमति पर पहुंचने का एक नया प्रयास शुरू होने की संभावना है. क्यों मनाया जाता है अतंर्राष्ट्रीय युवा दिवस? जानिए इसका इतिहास उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से सृजित होगा रोजगार BSE ने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों को लेकर दिया स्पष्टीकरण