नई दिल्ली: न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। अपने कार्यदिवस के अंतिम दिन यानी शुक्रवार (15 अक्टूबर) को उन्होंने शीर्ष अदालत को अलविदा कहते हुए कहा कि जजों की जिम्मेदारी लोगों को खुश करने की नहीं होती, बल्कि कानून के अनुसार, मामलों पर फैसला करने की होती है। सुप्रीम कोर्ट में लगभग 4 साल के अपने कार्यकाल के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। गत शुक्रवार (15 अक्टूबर) उनके कार्य दिवस का अंतिम दिन था। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में अपनी फेयरवेल स्पीच देते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा है कि, ‘एक जज कभी लोगों को खुश नहीं कर सकता। क्योंकि ये वो जिम्मेदारी नहीं है, जो उसे सौंपी गई है। लोगों को खुश करने की भूमिका का निर्वहन सार्वजनिक जीवन में दूसरे लोग करते हैं। इस जिम्मेदारी को (जजों की जिम्मेदारी) कोई किसी को खुश करने के उद्देश्य से नहीं निभा सकता। मैं अदालत में बेहद सख्त था, स्पष्टवादी था। मेरी समझ के अनुसार, जो भी आदेश आवश्यक थे, उन्हें पारित किया गया।’ बता दें कि, हिजाब विवाद पर खंडित फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस हेमंत गुप्ता भी शामिल थे। जस्टिस गुप्ता ने हिजाब बैन के कर्नाटक सरकार के आदेश को सही माना था। जस्टिस गुप्ता ने आगे कहा कि, ‘मुझे किसी बात का कोई पछतावा नहीं है। मैंने पूरी विनम्रता और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने का प्रयास किया है। हालाँकि, कभी-कभी मैं अपना आपा खो देता हूं। कोई भी परफेक्ट नहीं होता। मैं सबकुछ सही होने का दावा नहीं करता। जब भी मैंने गलती की है, तो यह अनजाने में हुआ है।’ उन्होंने कहा कि, ‘मैं अपनी करियर परफॉर्मेंस से प्रसन्न और संतुष्ट हूं, क्योंकि मुझे जो भी जिम्मेदारी मिली, मैंने उसे बगैर किसी भय और पक्षपात के निभाया।’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में रहना एक अच्छा अनुभव था और उन्हें हमेशा सभी वकीलों से सहायता मिली। न्यायमूर्ति हेमंत ने कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा कि, ‘मैं निजी तौर पर बोल रहा हूं। मैंने करीब 20 वर्षों की अपनी पारी का भरपूर आनंद लिया। हर दिन मेरे लिए सीखने वाला था और आप सभी ने सीखने की प्रक्रिया में मेरी सहायता की है।’ बता दें कि, जस्टिस गुप्ता को 2 नवंबर 2018 को सर्वोच्च न्यायालय के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। 16 तारीख को न्यायमूर्ति गुप्ता के रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट में सेवारत जजों की तादाद घटकर 28 रह जाएगी। जबकि CJI समेत न्यायाधीशों के 34 पद स्वीकृत हैं। दिल्ली दंगा: रतनलाल को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, ढाई साल बाद गिरफ्तार हुई आरोपी महिला सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की पुण्यतिथि आज, उनकी कलम में झलकते हैं उनके विचार आप नही जानते होंगे पूर्व राष्ट्रपति 'अब्दुल कलाम' से जुड़ी ये खास बातें