नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक अहम आदेश दिया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में दुष्कर्म के एक आरोपी को निर्धारित सजा के बाद भी जेल में रखा गया था। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह दोषी को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दे। सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी बलात्कार के इस दोषी को जेल में रखा गया था। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी। टी। रविकुमार ने यह फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता युवा है, उसे काफी समय तक और गैर कानूनी तरीके से मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया। इसके साथ ही उसने अतिरिक्त अवैध हिरासत के कारण मानसिक पीड़ा सही। सुप्रीम कोर्ट में दोषी शख्स ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र किया था। उच्च न्यायालय ने व्यक्ति को IPC की धारा-376 (रेप) के तहत दोषी करार देने के लोअर कोर्ट के फैसले की पुष्टि की थी, मगर सजा को 12 साल से घटाकर 7 वर्ष सश्रम कारावास कर दिया था। मगर शख्स को सजा से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा। मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शख्स को सुनाई गई सजा से अधिक समय तक जेल में रखा गया। याचिकाकर्ता को 10 साल तीन माह और 16 दिनों तक जेल में रखा गया था। इस पर अदलात ने नाराजगी भी जाहिर की। अदालत ने कहा कि इसको किसी भी प्रकार से जायज नहीं ठहराया जा सकता। यह आवश्यक था कि उच्च न्यायालय के आदेश के हिसाब से याचिकाकर्ता को रिहा किया जाता।अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वह सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी जेल में रखे जाने पर दुष्कर्म के एक दोषी को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे। कोरोना की चपेट में आए CM स्टालिन, अस्पताल में कराए गए भर्ती सावधान ! घर में मिला डेंगू का मच्छर तो देना होगा 10 गुना जुर्माना बहरत के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश के कारण 17 लोगो की मौत