लखनऊ: उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें हाई कोर्ट के निर्णय को खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूपी मदरसा एक्ट संविधान का उल्लंघन नहीं करता है और इसकी संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है, सिवाय कुछ प्रावधानों के। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था और छात्रों को सामान्य स्कूलों में दाखिला कराने का आदेश दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश में मदरसे चलते रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उन्हें नियमित कर सकती है। सुनवाई के दौरान, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी मदरसा शिक्षा को बच्चों के हित के खिलाफ बताया था। उत्तर प्रदेश में 16,000 से अधिक मदरसे हैं, जहां करीब 17 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। यह मामला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ द्वारा सुना गया, जिसमें जस्टिस जेबी पादरीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था और 5 नवंबर को यह निर्णय आया। इस फैसले का कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने स्वागत किया है, जिन्होंने कहा कि इससे छात्रों को राहत मिलेगी। यह कानून 2004 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते पारित किया गया था, जिसे बीजेपी ने विरोध किया था। दिल्ली: DTC की तेज रफ़्तार बस ने कांस्टेबल समेत दो को कुचला, जांच जारी जम्मू-कश्मीर: खाई में गिरा सेना का वाहन, एक जवान शहीद, दूसरा घायल कांग्रेस के कार्यक्रम में 'ओबामा' को निमंत्रण, सीएम सिद्धारमैया ने लिखा लेटर