नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए राजनीतिक पार्टियों में होड़ लगी हुई है. जनता तक पकड़ बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां कई रास्ते अपना रही हैं. इसमें काफी धन भी खर्च हो रहा है. पार्टियों की इन्हीं गतिविधियों के मद्देनज़र इनकी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की मांग उठती रही है. इनमें से एक मांग राजनीतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत लाने की रही है ताकि लोग जिन्हें मत देते हैं उनके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें. ममता के गढ़ में पीएम मोदी की दहाड़, कहा - रैली में ये भीड़ 'दीदी' की हार का स्मारक बहरहाल, देश में सियासी दलों को सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने की मांग काफी समय से की जाती रही है. अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है. शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लागे की मांग उठाई गई है. अदालत में सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त सियासी पार्टियों को सूचना के अधिकार कानून के तहत 'सार्वजनिक प्राधिकरण' घोषित करने के आदेश देने की मांग वाली एक याचिका दाखिल की गई है. वैद्यनाथ ग्रुप के मालिक को भाजपा ने बनाया प्रत्याशी, चुनावी मैदान रहेगा झांसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दाखिल की है. याचिका में बताया गया है कि जन प्रतिनिधि कानून की धारा 29सी के मुताबिक राजनीतिक दलों को मिलने वाले दान की जानकारी भारत के चुनाव आयोग को दी जानी चाहिए. यह दायित्व उनकी सार्वजनिक प्रकृति की तरफ इशारा करता है. इसमें कहा गया है, अत: कोर्ट यह घोषित कर सकती है कि राजनीतिक पार्टियां आरटीआई कानून, 2005 की धारा 2(एच) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’है. खबरें और भी:- तेजस्वी यादव का संगीन आरोप, कहा- मुझे लालू जी से मिलने नहीं दे रहे भाजपाई गुंडे... चुनाव आयोग की ममता को दो टूक, कहा - हमें विश्वसनीयता सिद्ध करने की जरुरत नहीं... OBC आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार को जारी किया नोटिस