नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया है, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस बारें में बोला है कि यह एक प्रचार हित याचिका अधिक लगाई जा रही है और इस तरह की याचिकाओं से धार्मिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने याचिकाकर्ता से बोला है कि वह इस तरह की याचिका से सिर्फ सौहार्द बिगाड़ने का काम भी करने में लगे हुए है। बेंच ने बोला है कि इस याचिका को एक कीमत के साथ रद्द किया जाने वाला है। हालांकि, इस पर याचिकाकर्ता की वकील CR जया सुकीन ने बोला है कि वह खुद ही याचिका को वापस लेना चाह रही है। बाद में कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई को रद्द करते हुए इसे वापस लेने की मांग मंजूर की जा चुकी है। याचिकाकर्ता ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के बीते वर्ष मार्च में एक जनहित याचिका पर सुनाए गए निर्णय को चुनौती दे दी थी। दरअसल, तब हाईकोर्ट से अपील की गई थी कि वह इसाई मिशनरीज की ओर से किए जा रहे जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने और उस पर निगरानी के लिए केंद्र और तमिलनाडु सरकार को बोर्ड का गठन करने का आदेश जारी कर दें। इस केस पर हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए बोला था कि तमिलनाडु सरकार के पास पहले से ही जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून है। जिसके माध्यम से जबरन धर्म परिवर्तन के अलावा गलत तरीके से कराए गए धर्म परिवर्तन के विरुद्ध भी सुरक्षा मिलती है। हाईकोर्ट ने यह भी बोला था कि हम सिर्फ यह उम्मीद और भरोसा कर सकते हैं कि इस केस में आधिकारिक जवाब देने वाले कानून का पालन करने वाले है। याचिका का जवाब देने वाले (सरकार) चाहे तो इसे लेकर नियम भी बना सकते हैं। इसी के साथ कोर्ट ने मामले में रिट याचिका का निपटान कर चुके है। नितिन गडकरी ने फिर दी खुशखबरी, सुनकर ख़ुशी से झूम उठेंगे गाड़ी चलाने वाले INX मीडिया केस: पी चिदंबरम और उनके बेटे को दिल्ली HC का नोटिस, अब 20 अप्रैल को सुनवाई अब बेहद कम में लीजिए अरुणाचल प्रदेश घूमने का आनंद, IRCTC ने लॉन्च किया शानदार पैकेज