'एक देश एक कानून' पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने आज समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर एक मामले की सुनवाई की. UCC को लागू किया जा सकता है या नहीं, इसकी जांच के लिए राज्यों द्वारा समिति के गठन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) पर शीर्ष अदालत ने विचार करने से साफ़ मना कर दिया. इस जनहित याचिका में कहा गया था कि क्या UCC को लागू किया जा सकता है. साथ ही पूछा गया था कि क्या राज्यों के पास ऐसा करने का अधिकार है.

सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि राज्य द्वारा समिति के गठन को अपने आप में चुनौती नहीं दी जा सकती, क्योंकि राज्यों के पास ऐसा करने का अधिकार है. याचिकाकर्ता अनूप बरनवाल की तरफ से पेश वकील ने अदालत को बताया कि समिति का गठन कानून के विरुद्ध है. हालांकि, अदालत ने कहा कि अनुच्छेद-162 के तहत विधायिका बनाने के लिए राज्यों के पास कार्यकारी शक्ति है.

अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के प्रावधानों के अधीन राज्य की कार्यकारी शक्ति उन मामलों तक विस्तारित होगी, जिनके बारे में राज्य के विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है. बता दें कि, गत माह संसद को संबोधित करते हुए केंद्रीय कानून और न्यायमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि व्यक्तिगत कानून जैसे निर्वसीयतता और उत्तराधिकार, वसीयत, संयुक्त परिवार और विभाजन, विवाह और तलाक संविधान की 7वीं अनुसूची की सूची-III-समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 से जुड़े हुए हैं. इसलिए राज्यों को भी उन पर कानून बनाने का पूरा अधिकार है.

वहीं, उत्तराखंड UCC लागू करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक पैनल का गठन करने वाला पहला सूबा था. इसके बाद गुजरात सरकार ने भी इसका ऐलान किया. दरअसल, समान नागरिक संहिता अनिवार्य तौर पर पूरे देश के लिए एक कानून प्रदान करती है, जो सभी धार्मिक समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू होती है.

चूरू: ठंड से बचने के लिए घर में अंगीठी जलाकर सोया परिवार, सुबह तक 3 की मौत

बर्फ की चादरों से ढके 'चूड़धार' पर विराजमान देवों के देव महादेव !

'वसुधैव कुटुंबकम से लेकर समर्थ भारत तक..', पीएम मोदी का संबोधन सुन गदगद हुए प्रवासी भारतीय

 

 

Related News