नई दिल्ली: देश में जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने आज यानी शुक्रवार (18 नवंबर) को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि यह एक सामाजिक मुद्दा है और कानून बनाना सरकार का काम है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने वकील अश्वनी उपाध्याय से कहा कि इस प्रकार की याचिका प्रचार के लिए दायर की जाती हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि आप पब्लिसिटी चाहते हैं, आपको पब्लिसिटी देने का हमारा काम नहीं है। वहीं, सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि अपनी क्षमताओं में जनसंख्या वृद्धि को कंट्रोल करने के लिए जो कुछ भी हम कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि परिवार नियोजन एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है, इसे अनिवार्य बनाने बनाना उचित नहीं होगा। कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अदालत, विधि आयोग को निर्देश दे कि वह जनसंख्या नियंत्रण को लेकर रिपोर्ट तैयार करे। जिसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि विधि आयोग इस पर रिपोर्ट किस तरह तैयार कर सकता है। आप याचिका वापस लें, नहीं तो हम खारिज करते हैं। बता दें कि याचिका में कहा गया था कि देश की मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनज़र यह बहुत आवश्यक है कि लोगों को साफ हवा, पानी, खाना, स्वास्थ्य और रोजगार हासिल करने का अधिकार सुनिश्चित हो। भानुप्रतापपुर विधानसभा उप-चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन '1 करोड़ की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ाए AAP नेता मुकेश गोयल..', दिल्ली सरकार पर एक और अटैक 'रेपिस्टों को चौराहे पर फांसी दे देनी चाहिए', उषा ठाकुर के बयान पर मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान