'बैन हटा दो..', सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था PFI, मिला झटका, जानिए क्या है इस प्रतिबंधित संगठन का मकसद ?

नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने संगठन पर सरकार के प्रतिबंध और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एक 'गैरकानूनी' इकाई के रूप में इसके बैन को चुनौती देने वाली पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय बेंच, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी शामिल ने सुझाव दिया कि ट्रिब्यूनल के आदेश के जवाब में PFI के लिए पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना अधिक उपयुक्त होगा, जिसने PFI और आठ पर अन्य संगठनों प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। 

PFI का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट के इस विचार से सहमति जताई कि संगठन को मामले को शीर्ष अदालत में ले जाने से पहले शुरुआत में उच्च न्यायालय से राहत लेनी चाहिए। गौरतलब है कि 27 सितंबर, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सांप्रदायिक नफरत फैलाने और देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली 'गैरकानूनी गतिविधियों' में शामिल होने का हवाला देते हुए PFI और आठ अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था। 

PFI और इसका मिशन इंडिया 2047 :-

बता दें कि, PFI पुलिस छापेमारी के दौरान अपने विवादास्पद उद्देश्यों और गतिविधियों के कारण सुर्खियों में आया था। यह संगठन वर्ष 2047 तक संपूर्ण भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलने के मिशन के साथ काम कर रहा था। इन छापों के दौरान, PFI ठिकानों में 'इंडिया विजन 2047' नामक एक दस्तावेज मिला था, जिसमें भारत में इस्लामी राज स्थापित करने के लिए एक विस्तृत रणनीति की रूपरेखा दी गई थी। दस्तावेज़ के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए PFI राष्ट्र-विरोधी प्रचार, सामाजिक कार्यों की आड़ में धन उगाही, मुस्लिम बहुल इलाकों में शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाने और कट्टरपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने में शामिल था। PFI पर प्रतिबंध और इसके कई नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद, संभावित हिंसा और अन्य गतिविधियों के लिए मुस्लिम युवाओं को गुप्त रूप से प्रशिक्षित करने और कट्टरपंथी बनाने के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं। PFI पर शाहीन बाग विरोध और दिल्ली दंगों सहित देश के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष और विरोध प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया गया है।

बरामद दस्तावेजों के अनुसार, PFI का अंतिम मिशन 'ताकत' के माध्यम से सत्ता पर कब्जा करना है, जब उनके पास महत्वपूर्ण मुस्लिम अनुयायी इकठ्ठा हों जाएं। उन पर विभिन्न सामाजिक और जनसांख्यिकीय समूहों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काकर हिंदू समुदाय को विभाजित करने का प्रयास करने का संदेह है। संगठन का लक्ष्य SC/ST और OBC समुदायों को हिंदुओं के खिलाफ एकजुट करना है, जिससे संभावित रूप से सत्ता का लाभ मिल सके।  PFI सदस्यों के बीच प्रसारित आंतरिक दस्तावेज़, 'इंडिया विज़न 2047', हिंदुओं पर हावी होने और उन्हें अधीन करने के लक्ष्य को रेखांकित करता है। यह सुझाव देता है कि यह तब हासिल किया जा सकता है, जब 10 प्रतिशत मुस्लिम PFI के पीछे एकजुट हो जाएं, जिससे वे हिंदुओं को घुटनों पर ले आएँगे। PFI पर कट्टरवाद, हिंसा और दंगे भड़काने का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ गरीब और हाशिए पर रहने वाले मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश करने और उन्हें भर्ती करने का आरोप है। दावा किया गया है कि PFI की गतिविधियों के तहत दक्षिण भारत में 200 से अधिक व्यक्तियों को संभावित आतंकवादियों के रूप में प्रशिक्षित किया गया है।

 

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