नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में कुछ राज्यों में हुई धार्मिक हिंसा की जांच के लिए पैनल गठित करने से साफ़ मना कर दिया है। अदालत ने कहा है कि वह इस प्रकार की राहत नहीं दे सकता। दरअसल, रामनवमी और हनुमान जयंती समारोह के दौरान कुछ राज्यों में हाल की धार्मिक हिंसा की जांच के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) के नेतृत्व में एक न्यायिक जांच पैनल की मांग के लिए अदालत में याचिका दाखिल की गई थी। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इस जनहित याचिका को ठुकरा दिया था। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच, वकील विशाल तिवारी द्वारा दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। तिवारी ने कहा कि स्थिति चिंताजनक है और सिर्फ एकतरफा जांच चल रही है। वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'ऐसी किसी राहत की मांग न करें जो इस कोर्ट द्वारा नहीं दी जा सकती।' जस्टिस राव ने याचिकाकर्ता वकील से सवाल किया कि, 'आप भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच चाहते हैं? क्या कोई फ्री है? आप पता लगाएं और हमें बताएं।' जस्टिस राव ने कहा कि, 'आप किस प्रकार की राहत मांग रहे हैं? ऐसी राहत की मांग न करें जिसे कोर्ट नहीं दे सकती।' दक्षिण कोरिया देश अपना पहला 'फ्लोटिंग एयरपोर्ट' बनाने की योजना बना रहा है सीएम जगन मोहन रेड्डी ने प्राकृतिक खेती के लिए राष्ट्रीय नीति की मांग की गुजरात: रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद दंगाइयों के घर पहुंचा बुलडोज़र, खुद ही अपना मकान तोड़ने लगे लोग