नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत देश भर में कोरोना महामारी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आवश्यक मामलों की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के सीएम और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है कि मार्च में मध्य प्रदेश के गवर्नर द्वारा बहुमत परीक्षण का आदेश देना सही था. शीर्ष अदालत ने कांग्रेस नेता और पेशे से वकील अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से दिए उस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि गवर्नर इस तरह का आदेश नहीं दे सकते हैं. यानी कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया है. शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि गवर्नर ने तब खुद कोई फैसला न लेते हुए फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहा था. एक चलती हुई विधानसभा में दो तरह के ही विकल्प बचते हैं जिसमें फ्लोर टेस्ट और अविश्वास प्रस्ताव ही होता है. अदालत ने इस दौरान गवर्नर के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन ने सियासी घमासान के बीच विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था. जब सदन की कार्रवाई आरम्भ हुई तो विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना की वजह से सदन को कुछ दिनों के लिए टाल दिया था. कोरोना की मार से बेहाल पाकिस्तान, IMF दे सकता है 1.4 अरब डॉलर का लोन पुतिन के सियासी एजेंडे को लगा तगड़ा झटका, कोरोना के चलते रूस में जनमत संग्रह टला लोगों तक सीधे मदद ना पहुंचाएं सियासी दल- NGO, तमिलनाडु सरकार के आदेश पर बवाल