हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश क्रिकेटएसोसिएशन के अध्यक्ष एवं हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के एक मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका को अवैध करार दिया है. सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के एक मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका को अवैध करार दिया है. अनुराग ठाकुर सहित सात अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के प्रदेश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने गैर कानूनी करार दिया और मामला रद्द करने के आदेश दिए. संजय शर्मा ने इसे सत्य की जीत बताया. गौरतलब है कि धर्मशालामें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम निर्माण के समय खेल विभाग के हॉस्टल और डिग्री कॉलेज धर्मशाला के टाइप-4 क्वाटर्स की 720 वर्ग मीटर भूमि पर अतिक्रमण करने के संबंध में एक मामला दर्ज किया गया था. इसके लिए 14 मार्च 2008 को हुई बैठक में हवाला दिया गया कि क्रिकेट स्टेडियम के विपरीत बने कॉलेज के आवासीय परिसर से क्रिकेट स्टेडियम में बड़े इवेंट के दौरान खिलाड़ियों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है. अतिक्रमण करने के इस मामले में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, तत्कालीन डीसी जिला कांगड़ा केके पंत, पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज धर्मशाला के तत्कालीन प्रिंसिपल ललित मोहन शर्मा नरेंद्र अवस्थी, लोक निर्माण विभाग के पूर्व एक्सईएन देवी चंद चौहान, पूर्व एसडीओ एमएस कटोच, एचपीसीए मीडिया प्रभारी संजय शर्मा, अत्र सिंह नेगी और गौतम ठाकुर के नाम शामिल थे. इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी संजय शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सत्य की जीत है. प्रदेश सरकार ने सभी मामले राजनीतिक प्रतिशोध के चलते दर्ज किए गए थे. पहले ही इस मामले पर प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे अवैध करार दिया है. यह सत्य की जीत है. इसी तरह प्रदेश सरकार को अन्य मामलों में भी मुंह की खानी पड़ेगी. यह भी पढ़ें क्रिकेटरों के एग्रीमेंट को 5 गुना बढ़ाने का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट को किया पेश, सीओए मजीठिया मामले में काश सुप्रीम कोर्ट ऐसा कर देता