नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने गूगल, माइक्रोसाॅफ्ट और याहू को गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग परीक्षण को लेकर उपयोग की जाने वाली सामग्री व विज्ञापन सर्च इंजन्स से हटाने का आदेश दिया। इतना ही नहीं न्यायालय ने सर्च की वर्ड ब्लाॅक करने को कहा मिली जानकारी के अनुसार साॅलिसिटर जनरल रंजीत कुमार द्वारा इस मामले में शिकायत की गई थी। इन दोनों का कहना था कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग परीक्षण को लेकर उपयोग की जाने वाली सामग्री सर्च इंजन्स पर दिखाई जा रही है और इसके खिलाफ कंपनियां कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। साॅलिसिटर जनरल द्वारा मोबाईल पर की वर्ड डालकर न्यायालय को दिखाने के लिए कहा गया। इस मामले में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने नाराज़गी जाहिर की और न्यायालय ने कहा कि कंपनियों द्वारा देश के कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है। हालांकि गूगल ने अभिभाषक के माध्यम से कहा कि इस मामले में आपत्तिजनक सामग्री हटाई गई है। कंपनियों द्वारा कहा गया है कि भारत के कानूनों का कंपनियां सम्मान करती हैं। न्यायालय का कहना था कि कंपनियां आंतरिक एक्सपर्ट पैनल और गलत सामग्री की पहचान के ही साथ उसे हटाने का कार्य करे। सर्वोच्च न्यायालय में साबू मैथ्यू जाॅर्ज नामक सामाजिक कार्यकर्ता पर जनहित याचिका दायर की हुई है। इन याचिकाओं में यह बात शामिल की गई है कि गूगल और अन्य सर्च इंजन्स पर भ्रूण और लिंग परीक्षण की जांच के लिए उपयोग में आने वाली सुविधा और उपकरणों से जुड़े विज्ञापन या अन्य सामग्री मौजूद है जिसे हटाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को लगाई जमकर फटकार, कहा 6 हफ्ते में पेश करे जवाब सीओए के हितो के लिए द्रविड़ और गांगुली से हो सकती है पूछताछ