नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार से नोटबंदी के मामले में सवाल किए गए हैं। न्यायालय ने पुराने नोट बदलने की तिथि को लेकर केंद्र सरकार से कहा है कि आखिर बड़े पैमाने पर लोग पुराने नोट बदलना चाहते थे तो फिर उन्हें दुबारा अवसर क्यों नहीं दिया गया। न्यायालय ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह में उत्तर देने के लिए कहा गया है। न्यायालय ने कहा कि जो व्यक्ति सही तरह से नोट की बदली करना चाहता था आखिर उसके मामले में क्या हुआ क्या उसके नोट बदले गए। गौरतलब है कि नोटबंदी की घोषणा के समय 15.44 लाख करोड़ रूपए की प्रतिबंधित करेंसी सर्कुलेशन में रखी गई थी इसमें से 8.58 लाख करोड़ रूपए की मुद्रा ऐसी थी जिसमें 500 रूपए के नोट थे। दूसरी ओर 6.86 लाख करोड़ रूपए 1000 रूपए के तौर पर शामिल थे। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा 30 जुलाई की अवधि तक एनआरआई लोगों को नोट बदलने का समय दिया गया जबकि बैंक्स में जाकर नोट बदलने वालों को 20 जुलाई की अवधि का समय दिया गया। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एसके कौल की बेंच ने याचिकाकर्ता की दलील से आखिरी नोटिफिकेशन में ऐसे लोगों को पुराने नोट जमा करने की अनुमति दी है जो कि किसी न किसी कारण से अपने नोट नहीं बदल सके। इन लोगों को 31 मार्च 2017 तक का समय पुराने नोट जमा करने के लिए दिया गया। नोटबंदी को लेकर यह बात सामने आती रही है कि लोगों को नोट बदलने के लिए लंबी कतारों का सामना करना पड़ा है। कई लोग घंटों लाईन में लगे रहे। BCCI सुप्रीम कोर्ट से टकराव न ले : जेटली तमिलनाडु में किसानों की कर्ज माफ़ी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक 1 जुलाई से आयकर रिटर्न के लिए आधार अनिवार्य