पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा सुस्ती से काम कर रही राज्य सरकार

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार को सर्वोच्च अदालत ने कड़ी फटकार लगाई है,  सुप्रीम कोर्ट ने आवश्यक कोर्ट रूम और राज्य में निचली अदालतों के जजों के लिए आवास मुहैया कराने के लिए समय बताने की असमर्थता पर नाराजगी जाहिर की है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में खंडपीठ ने गुरुवार को निचली अदालतों में पांच हजार से अधिक जजों की रिक्तियों पर संज्ञान लिया था.  अदालत ने सभी 24 हाईकोर्टो, 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए थे .

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खंडपीठ में शामिल जस्टिस कुरियन जोसेफ और एसके कौल ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह निचली अदालतों के जजों के लिए 422 कोर्ट रूम बनाने और 630 आवास मुहैया कराने के लिए एक तय तारीख बताएं. साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को आगामी छह दिसंबर तक जवाब देने को कहा है. 

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खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा था कि हमारे जज कहां ठहरेंगे? राज्य में न्यायपालिका के लिए कितना बजट निर्धारित किया गया है? लेकिन राज्य सरकार का जवाब सुनकर खंडपीठ बेहद नाराज़ हुई, उन्होंने देखा कि राज्य सरकार, निचली अदालतों और उनके जजों की कोई परवाह नहीं कर रही है. बतौर न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने मुख्य सचिव के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि 75 कोर्ट हॉल और 39 आवासीय इकाइयां फिलहाल निर्माणाधीन हैं, उन्होंने बताया कि राज्य में निचली अदालत के लिए 422 कोर्ट रूम और 630 आवासीय इकाइयों की आवश्यकता है. इस पर खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार सुस्ती और अनिच्छा से काम कर रही है. 

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