नई दिल्ली: राजमार्गों को हमेशा के लिए कैसे बाधित किया जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को गत वर्ष पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सरहदों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा राजमार्गों को अवरुद्ध करने का उल्लेख करते हुए कहा कि कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है। मामले में सोमवार को फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यूपी गेट पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर की गई नाकाबंदी खोलने की मांग वाली याचिका पर किसान संघों को पक्ष बनाने के लिए एक औपचारिक आवेदन दाखिल करने की इजाजत दी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि, 'समस्याओं का निराकरण, न्यायिक मंच या संसदीय बहस के जरिए हो सकता है, मगर राजमार्गों को हमेशा के लिए बाधित नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने नाकाबंदी को हटाने की मांग करते हुए कहा कि पहले दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट का समय लगता था और अब दो घंटे से अधिक का वक़्त लग रहा है और दिल्ली बॉर्डर पर यूपी गेट पर विरोध प्रदर्शन के चलते इलाके के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 2100 परिचालन फिनटेक के साथ सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बनने की ओर अग्रसर है भारत: पीयूष गोयल जल्द सिर्फ तीन घंटे में पूरा होगा मुंबई और हैदराबाद का सफर अगले कुछ दिनों में सस्ता होगा सोना चांदी!