नई दिल्ली। देश के विभिन्न हिस्सों में नेताओं द्वारा की जाने वाली दादागिरी पर नाराजगी जताते हुए देश की सर्वोत्तम अदालत सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न पार्टियों से पूछा है कि उनकी पार्टी में कितने बदमाश नेता है। दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में गंभीर आपराधिक आरोपों वाले लोगों को राजनीति में आने से रोक लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान कोर्ट ने यह बाते कही। केरल बाढ़ संकट : सुप्रीम कोर्ट ने दिए सरकार को दिशानिर्देश इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजनीति में आपराधिक मामले वाले नेताओं के आने को 'सड़न' करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि वह चुनाव आयोग को आदेश दे सकती है कि वो राजनितिक पार्टियों के सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का खुलासा करें, ताकि वोट देने वाले मतदाताओं को पता होना चाहिए की वो जिस नेता या पार्टी को वोट दे रहे है उस पार्टी में कितने लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज है। मणिपुर एनकाउंटर मामला: कल होगी सीबीआई डायरेक्ट की पेशी इस मामले में केंद्र सरकार की और से बेंच ने सुप्रीम कोर्ट को बताय कि शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा के तहत सांसदों को अयोग्य करार दिए जाने का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। सरकार की इस दलील के बाद सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की बेंच ने कहा कि 'यह नियम हर कोई समझता है, हम संसद को कोई कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते परन्तु सवाल यह है कि हम इस सड़न को रोकने के लिए क्या कर सकते हैं.' इस मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी. ख़बरें और भी केजरीवाल को लगा एक और झटका, अब ये नेता हुआ पार्टी से अलग अगर JJ एक्ट ठीक से लागू किया जाता तो नहीं होती मुजफ्फरपुर जैसी घटनाएं : सुप्रीम कोर्ट अलवर मॉब लिंचिंग: SC में राज्य सरकार को लगाई फटकार, माँगा कार्यवाही का ब्यौरा