नई दिल्ली: केंद्र बनाम दिल्ली सरकार का मुद्दा एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय की चौखट तक पहुंच चुका है। इस बार का मुद्दा राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों पर नियंत्रण का है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार (7 सितम्बर) को सुनवाई करेगी। इससे पहले 6 मई को मामले में सुनवाई हुई थी। उस दौरान मामले को बड़ी बेंच को सौंपने का फैसला लिया गया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमणा ने तब कहा था कि संविधान पीठ, दिल्ली में 'सेवाओं' के मुद्दों पर ही फैसला करेगी। बुधवार को न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूण, न्यायमूर्ति एमआर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा इस मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला करेंगे। दरअसल, आर्टिकल 239AA में दिल्ली सरकार के विधायी और कार्यकारी शक्तियों के संबंध में जानकारी दी गई थी। खास बात है कि संविधान के इस अनुच्छेद में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन ही रहेंगी। केंद्र सरकार ने तीन जजों की बेंच के सामने संविधान बेंच की ओर से आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के लिए सीमाएं निर्धारित करने की बात कही गई थी। केंद्र के मुताबिक, आर्टिकल 239AA के सब सेक्शन 3 में खासतौर से शामिल तीन सबजेक्ट्स से अधिक भी हो सकते हैं, जिन पर दिल्ली सरकार कानून नहीं बना सकती। केंद्र का कहना था कि एक अन्य पांच न्यायाधीशों की पीठ की तरफ से इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री तरुण भनोट ने की पत्रकार वार्ता, सीएम पर साधा निशाना दिल्ली में इस साल भी पटाखों पर रहेगा बैन.., केजरीवाल सरकार के फैसले पर भड़के लोग गौतस्करी करने के आरोपी TMC नेता अनुब्रत मंडल को बेल या जेल ? कोर्ट में सुनवाई आज