नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों के चंदे के लिए इलेक्टोरल बांड के इंतज़ाम को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत आज आदेश देगा. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ इस मामले में आदेश देगी. याचिकाकर्ता एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों को चंदे की इस व्यवस्था से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिल रहा है. बांड खरीदने वाले का नाम गुप्त रखने का प्रावधान है और सत्तासीन पार्टी को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इससे पहले निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत में कहा था कि वह राजनीतिक पार्टियों को धन देने के लिए चुनावी बांड जारी करने के खिलाफ नहीं है. बल्कि वे दानदाताओं के नाम छिपाने के खिलाफ है. चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि वह चुनावी बांड योजना में पारदर्शिता चाहता है. निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा था कि हम उस दान का विरोध नहीं कर रहे हैं जो कि वैद्य तरीके से दान करता है. हम तो मात्र इस योजना में पारदर्शिता चाहते हैं और हम मात्र दानदाताओं के नाम छिपाने के खिलाफ हैं. उल्लेखनीय है कि याचिका में ऐसा करने से भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है. राजनीतिक दलों को फंडिंग के लिए लाए गए इलेक्टोरल बांड के विरुद्ध दायर याचिका पर निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत को बताया था कि इलेक्टोरल बांड के कारण राजनीतिक दलों की फंडिंग की पारदर्शिता पर गंभीर प्रभाव पड़ने वाला है. निर्वाचन आयोग ने अदालत में दिए गए अपने हलफनामें में 2017 में कानून मंत्रालय को भेजी गई अपनी राय पर ही अडिग रहने का फैसला किया है. योजना में डोनर की पहचान न होने और नॉन-प्रॉफिट कंपनियों को भी इलेक्टोरल बांड खरीदने की इजाजत पर आशंका जताई गई है. खबरें और भी:- लाइब्रेरी इर्टन के पदों पर वैकेंसी, अभी करे आवेदन सरकार ने बढ़ाई जीएसटीआर-1 फाइल करने की समयसीमा गुरुवार को भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में नजर नहीं आया कोई परिवर्तन