नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण के कानून को वैध ठहराने वाले उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ देश की सर्वोच्च अदालत में दाखिल की गई याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करने के पहले कुछ अति महत्वपूर्ण सहायक कानूनी मुद्दों को फैसले के लिए 11 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं, इस पर तीन दिन तक चली सुनवाई शुक्रवार को अधूरी रही। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई एक सितंबर को की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ का फैसला है कि आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा नहीं हो सकता। इस मामले में आरक्षण ने 50 फीसद की सीमा पार कर ली है, इसलिए इस मामले को उससे भी बड़ी संविधान बेंच को सौंपा जाए। जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। मुख्य याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई कब की जाए और अंतरिम स्थगिति दी जाए या नहीं, इस पर भी बेंच ने एक सितंबर की तारीख मुक़र्रर की है। ऐसे में लगता है कि उस दिन का सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अहम होगा और उस पर मराठा आरक्षण का भविष्य निर्धारित होगा। प्रणब मुखर्जी गहरे कोमा में गए, स्वास्थय में कोई सुधार नहीं सीएम शिवराज का बड़ा ऐलान - बकाया बिजली का बिल माफ़ कोरोना के चलते रद्द हुआ इंडिया ओपन व सैयद मोदी इंटरनेशनल टूर्नामेंट