नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में संसद से पारित गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन कानून (UAPA), 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। बिल में संशोधन से केंद्र सरकार को किसी शख्स को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार मिल गया है। दिल्ली के रहने वाले सजल अवस्थी द्वारा दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत प्रदत्त समानता के मौलिक अधिकार, अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का हनन करता है। याचिका के अनुसार, अधिनियम में हालिया संशोधन के जरिये व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की अनुमति मिल गई है जबकि UAPA, 1967 के तहत सिर्फ संगठनों को ही आतंकी घोषित किया जा सकता था। याचिका के अनुसार, UAPA, 2019 की धारा 35 में यह नहीं कहा गया है कि किसी शख्स को किस आधार या वजह से आतंकी घोषित किया जा सकता है। जिससे यह धारा बिना किसी सीमा या बंधन के सरकार को मनमाने और निरंकुश अधिकार प्रदान करती है जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। संशोधित कानून में आतंकवाद की रोकथाम के नाम पर असहमति प्रकट करने पर अप्रत्यक्ष प्रतिबंध लगाने की शक्ति भी प्रदान की गई है जो अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। साथ ही इसमें आतंकवादी घोषित किए गए शख्स को अपना पक्ष रखने का अवसर भी नहीं दिया गया है और उसके बाद उसे समाज के भरोसे पर छोड़ दिया गया है। इसलिए यह धारा 21 का उल्लंघन है। संसद में जब इस बिल को लाया गया था उस दौरान भी विपक्ष ने इसका तीखा विरोध किया था। लेकिन वह सरकार को पारिक करवाने से नहीं रोक पायी। देश के सबसे लंबे आदमी की सीएम योगी से गुहार, कहा - मेरे इलाज में मदद करे सरकार मध्य प्रदेश: मंदसौर में बाढ़ के पानी के साथ गाँव में घुस आया मगरमच्छ, लोगों में दहशत अब काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकेंगे श्रद्धालु, इस तरह होगा जलाभिषेक