दिल्ली : 120 साल से लंबित कावेरी जल विवाद पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही करते हुए खंडपीठ का फैसला सुनाया जिसमे दौरान सुप्रीम कोर्ट का कहना है की नदी पर किसी राज्य का अधिकार नहीं है. CJI की पीठ में जज दीपक मिश्रा के साथ दो अन्य लोग शामिल है. कोर्ट ने कहा की तमिलनाडु को 177 TMC पानी दिया जाये और कर्नाटक को 14 .75 तमस जल दिया जाये. कोर्ट ने कहा फैसला लागु करना केंद्र का काम है. इस फैसले का असर विधानसभा चुनाव में कर्नाटक और तमिलनाडु में साफ दिखाई देगा. विवादित मामला होने के कारण फैसले को लेकर बेंगलुरु में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम कर दिए गए हैं. बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर के मुताबिक़, सुरक्षा की दृष्टि से 15000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा. इसके अलावा कर्नाटक राज्य के पुलिस कर्मी और अन्य सुरक्षाबालों को तैनात किया जाएगा. कमिश्नर ने कहा कि जिन इलाकों में पहले दंगे हो चुके हैं, उन संवेदनशील इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. बता दे कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 20 सितम्बर 2017 को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. मामले में नदी जल को लेकर विवाद है. दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों ने फरवरी 2007 में कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के जल बंटवारे को लेकर अदालत में है. कर्नाटक का दावा था किब्रिटिशर्स के जमाने में कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच जो समझौता हुआ, उसमें उसके साथ न्याय नहीं हुआ क्योंकि इस समझौते में उसे उसका पानी का उचित हिस्सा नहीं दिया गया. कर्नाटक यह भी कहता आया है कि वह नदी के बहाव के रास्ते में पहले पड़ता है इसलिए उसका जल पर पूरा अधिकार बनता है. वही तमिलनाडु का मानना था कि उसे समझौते के मुताबिक, कावेरी जल का उतना ही हिस्सा मिलते रहना चाहिए. उसे कावेरी जल की अधिक मात्रा की जरूरत है क्योंकि खेती के लिए किसानों को पर्याप्त जल उपलब्ध कराने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है. किसान-जवान-मैदान, हर जगह हरियाणा का योगदान- अमित शाह कावेरी जल विवाद पर 120 साल बाद फैसला आज एमपी में बलात्कार की कीमत मात्र 6500 रुपये