नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में सड़क दुर्घटना में मारे गये व्यक्ति के आश्रितों को मुआवजे के मापदंड बदलते हुए मुआवजे का आदेश देते समय मृतक की ‘‘भावी संभावनाओं’ पर विचार करने पर सहमति जताई है. दरअसल प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष ऐसे अनेक कई सवाल थे जिनमें यह तय करना था कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले सड़क दुर्घटना में मारे गये व्यक्ति के आश्रित ‘भावी संभावना’ की मद के अंतर्गत मृतक को मिलने वाले वेतन का एक निश्चित प्रतिशत जोड़ने के बाद मुआवजा राशि में वृद्धि करा सकता है. इस मामले में संविधान पीठ ने मानकीकरण के सिद्धांत को स्वीकार कर आयु सीमा के अनुसार उसकी आमदनी का निर्धारण कर भुगतान किया जाना चाहिए. तदनुसार 40 वर्ष से कम आयु वाले को 50 प्रतिशत,40 से 50 साल के बीच हो तो इसमें 30 प्रतिशत और यदि मृतक 50 से 60 साल की आयु का हो तो इसमें 15 प्रतिशत जोड़ा जाना चाहिए. आपको जानकारी दे दें कि संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे. इस संविधान पीठ ने स्वरोजगार वाले या निजी क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के मामले में आश्रितों को मुआवजा देते समय ‘भावी संभावना’ की मद के तहत मृतक की आमदनी या वेतन के प्रतिशत का भी निर्धारण किया. सुप्रीम कोर्ट के इस बदले मापदंड से निश्चित ही मृतकों के आश्रितों को लाभ होगा . यह भी देखें यूनिटेक को SC ने दिया 750 करोड़ जमा करने का फरमान आधार की वैधता पर अगले माह संवैधानिक पीठ में सुनवाई