नसबंदी के लिए 33 महिलाओं को बेहोश कर गायब हुआ डॉक्टर, पूरा मामला जानकर हिला गया प्रशासन

राजस्थान में एक और बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है, वही दूसरी और एक और लापरवाही का मामला मध्यप्रदेश में सामने आया है. जहां एक डॉक्टर ने अपने काम से न्याय नही किया है. बता दे कि शनिवार को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिला अस्पताल में नसबंदी के लिए आई 33 महिलाओं की जान पर बन आई. इन्हें बेहोशी का इंजेक्शन दे दिया गया, लेकिन छतरपुर से आए सर्जन का अस्पताल के कर्मचारियों से किसी बात पर विवाद हो गया तो वह बिना ऑपरेशन किए चले गए. इससे अस्पताल प्रबंधन के हाथ-पैर फूल गए. किसी तरह एक निजी अस्पताल से सर्जन को बुलाया गया. करीब एक घंटे बाद महिलाओं के ऑपरेशन हो सके। इस दौरान महिलाएं बेहोशी की हालत में ही रहीं. इधर, सभी कर्मचारियों ने छतरपुर से आए सर्जन के खिलाफ अजा-जजा थाने में शिकायती आवेदन दिया है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि  बड़ागांव धसान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के ऑपरेशन जिला अस्पताल टीकमगढ़ में किए जाते हैं. ऑपरेशन के लिए शनिवार को यहां छतरपुर से सर्जन डॉ. केके चतुर्वेदी आए हुए थे. उन्हें 33 महिलाओं की नसबंदी करनी थी, लेकिन कर्मचारियों से विवाद के कारण वे वहां से नाराज होकर चल दिए. बाद में जिला अस्पताल प्रबंधन ने एक निजी अस्पताल के सर्जन डॉ. मांडवी साहू को बुलाया और ऑपरेशन कराए.टीकमगढ़ के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी अनुरागी ने बताया कि कर्मचारियों और सर्जन में आपस में ही कुछ बातचीत हो गई. इससे वह चले गए थे. अस्पताल में सर्जन नहीं होने से दूसरी जगह से बुलाना पड़ा. अब मामले को दिखवाते हैं.

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अपने बयान में छतरपुर के सर्जन डॉ. केके चतुर्वेदी ने कहा कि जिला अस्पताल टीकमगढ़ में काफी अव्यवस्थाएं हैं. महिलाओं की ओटी में पुरुष प्रवेश कर रहे थे तो मैंने सिर्फ इतना कहा था कि यहां पर पुरुष नहीं आएंगे. फिर भी वे मान नहीं रहे थे तो मैं हाथ जोड़कर वहां से निकल आया. मैं किसी को नहीं जानता, वहां कौन क्या है. फिर मैं किसी को गाली क्यों दूंगा। कर्मचारी झूठ कह रहे हैं कि मैंने किसी से अभद्रता की है.

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