4 दिसंबर को शनिवार के दिन वर्ष 2021 का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। भारतीय समय के मुताबिक, ये ग्रहण प्रातः तकरीबन 11 बजे आरम्भ होकर दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक चलेगा। ज्योतिष के मुताबिक, सूर्य ग्रहण लगने से लगभग 12 घंटे पहले से सूतक लग जाता है। सूतक लगने के पश्चात् से लेकर ग्रहण ख़त्म होने तक के समय को शुभ नहीं माना जाता। इसलिए इस के चलते पूजा पाठ आदि करने और कुछ भी खाने पीने की मनाही होती है। मंदिरों के कपाट सूतक लगते ही बंद हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त सूतक आरम्भ होने से पहले ही खाने पीने की सामग्री में तुलसी का पत्ता डाल दिया जाता है। परम्परा है कि जिस चीज में तुलसी का पत्ता पड़ जाता है, वो चीज अशुद्ध नहीं होती। ग्रहण काल ख़त्म होने के पश्चात् उसे फिर से इस्तेमाल में लिया जा सकता है। हालांकि इस बार का ग्रहण भारत में नहीं नजर आएगा। इस वजह से यहां सूतक के ये नियम भी यहां लागू नहीं होंगे। फिर भी ये सोचने वाली बात है कि आखिर तुलसी का पत्ता डाल देने भर से सूतक एवं ग्रहण के प्रभाव से वो चीज कैसे बच सकती है। यहां जानिए क्यों तुलसी के पत्ते पर नहीं होता सूतक का प्रभाव। क्यों खाने पीने की चीजों में डाला जाता है तुलसी का पत्ता:- वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो ग्रहण के समय वातावरण में उपस्थित किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। ऐसे वक़्त में अगर खाने या पीने की चीजें खुली रखी हों, या इस वक़्त में खाया पीया कुछ जाए, तो इन किरणों का नकारात्मक प्रभाव उस चीज में भी पहुंच जाता है तथा हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है। चूंकि तुलसी के पत्ते में पारा मौजूद होता है। पारे पर किसी भी प्रकार की किरणों का कोई प्रभाव नहीं होता। माना जाता है कि ग्रहण के वक़्त आकाश मंडल एवं ब्रह्मांड से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के समीप आते ही निष्क्रिय हो जाती है। इस वजह से तुलसी का पत्ता जिन चीजों में भी डाला जाता है, वो चीजें वातावरण में उपस्थित किरणों के नकारात्मक असर से बच जाती है। इसलिए उन चीजों को शुद्ध माना जाता है। गणपति बाप्पा की आरती के साथ करें अपने दिन की शुरुआत आज जरूर पढ़े गुरु प्रदोष की ये कथा दिसंबर महीने में आने वाले हैं ये व्रत और त्योहार