वाराणसी में मंदिर और धरोहरों को बचाने की मुहिम अब जोर पकड़ रही है , इसी कड़ी में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और श्री संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफ़ेसर विश्वंभर नाथ मिश्र की अगुवाई में तुलसी घाट पर हुई बैठक में सर्वसम्मति से तय हुआ कि काशी के सैकड़ों वर्ष पुराने भवनों-मंदिरों पर प्रशासन द्वारा एक भी हथोड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन के हथौड़े को रोकने के लिए सैकड़ों-हजारों लोग विरोध करेंगे श्री संकट मोचन मंदिर में दर्शन पूजन के उपरांत तुलसी घाट पर हुई बैठक में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हाईकोर्ट से किसी भी निर्माण व ध्वस्तीकरण पर स्टे के बावजूद हेरिटेज जोन में प्राचीनतम भवनों मंदिरों को तोड़कर देवताओं और लोगों को मलवे में रहने पर मजबूर किया जा रहा है।काशी के अस्तित्व को नष्ट करने का षड्यंत्र जो हो रहा है।इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।पूरे काशीवासी जन आंदोलन के रूप में संघर्ष करेंगे।काशी के लाखों निवासियों को साथ लेकर व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा। लाखों लोगों के हस्ताक्षर युक्त पत्र के साथ जनहित याचिका दायर की जाएगी, ताकि काशी के अस्तित्व को बचाया जा सके। इस अवसर पर संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफ़ेसर विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि सभी को दलगत भावना से ऊपर उठकर काशीवासी के रूप में आंदोलन में सम्मिलित होना पड़ेगा अन्यथा काशी का स्वरूप नष्ट हो जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा ने कहां आंदोलन में यह ध्यान रखना होगा कि कानून का उल्लंघन ना हो।बीएचयू के न्यूरोलाजिस्ट प्रो विजयनाथ मिश्र ने बताया कि आंदोलन के अंतर्गत अस्सीघाट से राजघाट तक पदयात्रा 7 मई को होगी।इसके बाद प्रतिदिन काशी के 84 घाटों पर अलग-अलग समाज के सभी वर्गो द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जायेगा । इसी क्रम में 16 मई से काशी में मंदिर तोड़ने के विरोध और देवी देयताओं की सुरक्षा के लिए काशी यात्रा शुरु किया जायेगा, यात्रा का समापन 29 मई को विशाल सभा के साथ किया जायेगा। आज हम चलते हैं इतिहास से भी पुराने शहर के सफर पर