लखनऊ: उत्तर प्रदेश के योगी कैबिनेट में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने राज्य की गवर्नर आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा भेजा है। बता दें कि वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी और अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो गए हैं। राज्य के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन और MA किया है। 1980 में उन्होंने सियासत में सक्रिय रूप से कदम रखा। वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री का पद संभाला। इसके बाद 1989 से सन 1991 तक उत्तर प्रदेश लोकदल के मुख्य सचिव के पद पर भी रहे। इसके बाद मौर्य ने 1991 से 1995 तक यूपी जनता दल के महासचिव का पद संभाला। 1996 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा का दामन थामा और प्रदेश महासचिव बने। उन्होंने बसपा के टिकट पर डलमऊ, रायबरेली से विधानसभा का चुनाव लड़ा और चार बार MLA बने। मंत्री ने 2009 में पडरौना विधानसभा उपचुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को शिकस्त दी। मई 2002 से अगस्त 2003 तक उन्हें मंत्री का दर्जा दिया गया और अगस्त 2003 से सितंबर 2003 तक वे यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। मौर्य को वर्ष 2007 से 2009 तक मंत्री पद पर रहने का अवसर मिला। जनवरी 2008 में उन्हें बसपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लेकिन 2012 में मिली शिकस्त के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया और उनके स्थान पर रामअचल राजभर को प्रदेश अध्यक्ष का पद दे दिया। इसके बाद 2016 में उन्होंने बसपा से बगावत करके भाजपा की सदस्यता ले ली और योगी सरकार में मंत्री बने। अब जब फिर विधानसभा चुनाव आ रहा है, तो मौर्य ने फिर एक बार पलटी मारते हुए सपा का दामन थाम लिया है। पंजाब की दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे चरणजीत चन्नी, हार का डर या कोई और प्लान ? 'प्रचार कांग्रेस का, तस्वीरें भाजपा की..', सोशल मीडिया पर फिर बना पार्टी का 'मजाक' केपीसीसी ने पिनरी विजयन पर सिल्वरलाइन प्रोजेक्ट पर कमीशन कमाने का आरोप लगाया