नई दिल्ली: स्विस बैंकों में जमा काला धन के मामले ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले तूल पकड़ा था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्त्यार किए थे। अब स्विस बैंकों में भारतीयों के कम से कम 10 बैंक खातों के दावेदार नहीं मिल रहे। इन एकाउंट्स में जमा रकम के स्विट्जरलैंड सरकार को हस्तांतरित होने का खतरा मंडराने लगा है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारतीयों के इन निष्क्रिय स्विस बैंक खातों के लिए बीते छह वर्षों में कोई दावेदार आगे नहीं आया है, जिससे इन खातों में जमा धन के स्विट्जरलैंड सरकार को हस्तांतरित होने का खतरा मंडराने लगा है। बताया जाता है कि इन एकाउंट्स में करोड़ों रुपये की रकम जमा है। कुछ खातों के लिए दावे की समयसीमा अगले महीने और बाकी खातों की अगले वर्ष दिसंबर में ख़त्म हो रही है। तय सीमा के भीतर दावेदारी और विवरण नहीं सौंपने पर इन एकाउंट्स की रकम स्विट्जरलैंड सरकार को ट्रांसफर हो सकती है। निष्क्रिय पड़े खातों में दो खाताधारक कोलकाता, एक देहरादून और दो खाताधारक मुंबई के रहने वाले बताए जा रहे हैं। चंद्रलता प्राणलाल पटेल, मोहन लाल और किशोर लाल के एकाउंट्स पर दावा करने की मियाद दिसंबर में ख़त्म हो रही है। वहीं मुंबई के रहने वाले खाताधारक रोजमैरी बर्नेट और पियरे वाचेक, देहरादून के रहने वाले चंद्र बहादुर सिंह और योगेश प्रभुदास सुचाह के एकाउंट्स के लिए दावेदारी करने की समयसीमा दिसंबर 2020 तक है। योगेश का आखिरी आवासीय पता रिकॉर्ड के अनुसार लंदन का है। अन्य खाताधारक लीला तालुकदार और प्रमाता एन तालुकदार हैं। पेट्रोल के दामों में लगातार चौथे दिन बढ़ोतरी, डीजल की कीमत स्थिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माना, मुश्किल दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ संगठन कैट ने किया राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान