जिनेवा: स्विट्जरलैंड में शुक्रवार का नज़ारा हर किसी के लिए चौंकाने वाला था और 12 वर्ष से कम उम्र के छात्र भी सड़कों पर थे. ये सभी छात्र स्विट्ज़रलैंड के 15 शहरों से इकट्ठा हुए थे और इनकी मांग थी कि 'क्‍लाइमेट कंट्रोल' पर ठोस कदम उठाए जाएं. इन छात्रों की मांग थी कि पर्यावरण में बढ़ रहे बदलावों को नियंत्रण में किया जाए. शटडाउन के कारण अंतरिक्ष में भी मची उथल-पुथल इन सभी छात्रों ने इस आंदोलन के लिए अपनी क्‍लास तक मिस कर दी थी. इन छात्रों ने राजनीतिज्ञों को स्पष्ट संदेश दिया कि, 'कोई प्लेनेट बी' नहीं है और हमें यहीं पर रहना है. उल्लेखनीय है कि इस विरोध प्रदर्शन की प्रेरणा हैं 15 वर्ष की स्विडिश छात्रा ग्रेटा थुनबर्ग, जो गत वर्ष अगस्‍त से प्रत्येक शुक्रवार को अपना स्‍कूल मिस कर स्‍वीडन की संसद के बाहर इसी मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन करती हैं. उनकी मांग है कि क्‍लाइमेट चेंज को रोकने के लिए राजनेताओं को कोई ठोस एक्शन लेना चाहिए. मेक्सिको : ईंधन पाइपलाइन में भीषण आग, 20 की मौत कई घायल पोलैंड में पीछले महीने हुई कॉप 24 क्‍लाइमेट टॉक्‍स के दौरान ग्रेटा के भाषण ने दुनियाभर के लोगों का दिल जीत लिया था. यहां पर आए वर्ल्‍ड लीडर्स को ग्रेटा ने सीधे साफ़ लफ़्ज़ों में कहा था कि अगर आज नहीं जागे तो फिर हम कभी नहीं जाग पाएंगे. जिसके बाद दुनियाभर के कई देशों के छात्रों ने ग्रेटा के साथ चलने का फैसला किया था. वहीं इस विरोध प्रदर्शन में छात्र अपने घर से पोस्टर्स बना कर लाए थे, इन पर लिखा था, 'अगर क्‍लाइमेट कोई बैंक होता तो इससे कब का बचा लिया गया होता,' एक अन्य संदेश था जिसने दुनिया भर की मीडिया को आकर्षित किया था, उसमे लिखा था कि, 'यह ग्रह मेरे ब्‍वॉयफ्रेंड से भी ज्‍यादा गर्म हो गया है.' खबरें और भी:- वॉशिंगटन : कोर्ट ने होटल को दिया बर्तन धोने वाली महिला को 21 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने का आदेश मॉडल ने किया था डोनाल्ड ट्रम्प के राज़ जाने का दावा, रूस पुलिस ने किया गिरफ्तार चीन में शुरू हुआ पहला मोल्टन सोलर प्लांट, यह है खासियत