लखनऊ: कृषक भूमि में घर बनाने, घर के लिए कर्ज लेने, मानचित्र पास कराने अथवा कारोबार शुरू करने के लिए अब माहों तक तहसील के चक्कर नहीं लगाने होंगे. तहसील के एसडीएम को 45 दिन के अंदर कृषक भूमि के इस्तेमाल बदलाव पर फैसले करना होगा. ऐसा नहीं करने पर स्वत: मंजूरी मान ली जाएगी. गवर्मेंट ने इसके लिए राजस्व संहिता के नियमों में परिवर्तन संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है. राज्य में कृषक भूमि में मकान बनाने, मकान बनाने के लिए कर्ज लेने, मानचित्र पास कराने, कारोबार लगाने, होटल बनाने अथवा अन्य व्यवसाय करने के लिए तहसील के डिप्टी कलेक्टर की मंजूरी लेनी आवश्यक है. बैंक , वित्तीय संस्थाएं एवं प्राधिकरण बिना भू-उपयोग बदलाव के ऐसे कार्य को आगे नहीं बढ़ाते. साथ ही राज्य में जैसे-जैसे औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं आवासीय गतिविधियों को बढ़ावा देने की पहल हो रही है, कृषि भूमि के इस्तेमाल परिवर्तन के केस बढ़ते जा रहे हैं. वही विकासकर्ता, इन्वेस्टर्स, किसान और आम लोग कम्प्लेन करते रहे हैं कि रेवेन्यू अफसर काफी वक़्त तक ऐसे केसों में फैसले नहीं लेते हैं. उन्हें माहों तक दौड़ाया जाता है, तथा कई बार शोषण का भी शिकार होना पड़ता है. इससे इन्वेस्टर्स, निजी खिलाड़ी के साथ आम व्यक्तियों में सरकार की छवि धुलमिल होती है. आर्थिक गतिविधियों के विस्तार एवं रोजगार सृजन में भी विलंब होता है. सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर कृषक भूमि के इस्तेमाल परिवर्तन के लिए पारदर्शी प्रक्रिया की पहल करते हुए अप्लाई करने पर 45 दिन में फैसला लेना आवश्यक कर दिया है. इसी के साथ अब किसानों को काफी राहत मिलेगी. मानसून सत्र के तीसरे दिन हुआ बवाल, कांग्रेस विधायकों ने शुरू की नारेबाजी चुनाव के ऐलान से पूर्व ही चुन लिए प्रधान-उपप्रधान रिटायर्ड हो चुके अफसरों की नहीं होगी पुनर्नियुक्ति, सरकार ने लगाई रोक