नई दिल्ली : शराब पीकर वाहन चलाने से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हालांकि फैसला सुरक्षित रख लिया लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि ये सुनिश्चित किया जाएगा कि नेशनल हाईवे हो या स्टेट हाईवे, शराब की दुकानें कहीं भी चलने नहीं दी जाएंगी. भले ही हाईवे का कुछ हिस्सा शहर के बीच से गुज़रे, वहां भी शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटना का मुद्दा उठाकर कहा गया था कि इन दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है. विषय की गम्भीरता को देखते हुए कोर्ट ने भी तेज़ी से सुनवाई की और इसी वर्ष अगस्त में इस मामले में केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था. आपको बता दें कि कोर्ट ने अाज स्पष्ट कर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21 से हर नागरिक को मिला जीवन का अधिकार बेहद महत्वपूर्ण है. राज्यों को इसका सम्मान करते हुए अपनी आबकारी नीति में बदलाव करना होगा. उन्हें हाईवे के किनारे शराब की दुकानों को लाइसेंस देना बंद करना होगा. कोर्ट के इस रुख का असर पूरे देश पर पड़ना तय है. स्मरण रहे कि केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में देश भर में कुल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1 लाख 46 हज़ार लोगों को अपनी जान गंवाना पड़ी. नामंजूर हुआ आजम का माफीनामा सिनेमा में राष्ट्रगान नही बजा तो बिना फिल्म देखे लौट गई भरतीय कप्तान