बैंगलोर: आज मंगलवार (9 जुलाई) को कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक सिविल ठेकेदार द्वारा राज्य के भाजपा नेताओं के खिलाफ कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने के आरोप में दाखिल जनहित याचिका (PIL) को ठुकरा दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि PIL "राजनीति से प्रेरित" प्रतीत होती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अदालत के मंच का दुरुपयोग करने और ऐसी याचिकाएँ दायर करके कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए भी फटकार लगाई। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता मोहम्मद खलीउल्ला ने कहा था कि उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कथित भाषणों के बारे में पता चला। अपनी याचिका में उन्होंने एमपी रेणुकाचार्य, सीटी रवि, तेजस्वी सूर्या और प्रताप सिम्हा समेत राज्य के कई भाजपा नेताओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के लिए कार्रवाई की मांग की। मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, आरोप बहुत सामान्य थे और उनमें प्रमाणिकता का अभाव था, साथ ही ये यचिका राजनीति से प्रेरित प्रतीत होती है। याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि, "आप ऐसी याचिकाएं दायर करके उच्च न्यायालय के मंच का दुरुपयोग क्यों कर रहे हैं? आप ऐसी सर्वव्यापी प्रार्थनाओं वाली याचिकाएं दायर करके अदालतों का समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं?" हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिका दायर करने में जनहित नहीं, बल्कि राजनीतिक मकसद की बू आती है और इस प्रकृति की याचिका पर जनहित याचिका के रूप में विचार नहीं किया जा सकता। रूस के लिए यूक्रेन से लड़ रहे भारतीयों को वापस भेजेंगे पुतिन, पीएम मोदी ने उठाया था मुद्दा दलित लड़की को डॉ जुबैद और जुनैबा ने जहर देकर मारा, रेप की भी आशंका ! पीड़ितों के समर्थन में आया बजरंग दल बेडरूम में दूसरे आदमी संग रंगरेलियां मना रही थी पत्नी, अचानक आ गया पति और फिर...