हेल्थ पर ध्यान देना जरूरी है. कोलेस्ट्रॉल को नियमित रखने के लिए कई तरह के उपाय सुझाये जाते है. टीवी पर कोलेस्टॉल को कण्ट्रोल करने के लिए कई तरह के आयल के एड भी देखे जाते है. कोलेस्ट्रॉल अधिक होने पर ब्लड ट्यूब में जमा हो कर अवरोध पैदा करता है. इस कारण हार्ट अटैक और पैरेलिसिस जैसी समस्या हो सकती है. इसे लेकर अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल एण्डोक्राइनोलाॅजिस्ट ने नए दिशानिर्देश जारी किए है. जिसके अनुसार एलडीएल कोलेस्ट्रॉल एवं एपोलाईपोप्रोटीन बी को मेडिकल का खास आधार बनाया गया है. एलडीएल को खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. जो ब्लड ट्यूब में जमा होकर उन्हें ब्लॉक कर सकता है. एपो बी हर एलडीएल पार्टिकल में मौजूद होता है, इसलिए इन दोनों के लेवल की जाँच की जाना चाहिए. हार्ट अटैक को लेकर भी अनेक रिस्क फैक्टर्स हो सकते है. अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल एण्डोक्राइनोलाॅजिस्ट ने हाई कोलेस्ट्रॉल के अलावा पांच रिस्क फैक्टर जिनमे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर अधिक होना, स्मोकिंग, किडनी के रोग में हार्ट अटैक को शामिल किया है, एसोसिएशन ने इसे अधिक महत्व दिया है. जानकारी दे दे कि डायबिटीज के साथ यूरिन के साथ यदि अधिक अल्ब्यूमिन जो कि अंडे की सफेदी जैसा दिखाई देता है, निकल रहा हो या किडनी की समस्या हो तो मरीज को एलडीएल कोलेस्ट्राॅल का स्तर 55 मिली ग्राम से कम एवम् एपो बी लेवल 70 से कम होना चाहिये. यदि डायबिटीज़ है एवम् पाँच में से कोई भी रिस्क फैक्टर नहीं है तब एलडीएल 100 से कम एवम् एपो बी 90 से कम होना चाहिये.यह भी बता दे कि कोलेस्ट्राॅल के ट्रीटमेंट निर्धारण के लिये सबसे पहले रिस्क फैक्टर्स को देखा जाता है. ये भी पढ़े निम्बू की सहायता से दूर करे अपने बालो का फंगल इन्फेक्शन यूरिन इन्फेक्शन होने पर करे आंवले के साथ शहद का सेवन खुजली की समस्या में लगाए चन्दन का तेल