गुरुवार को यदि आप कोई शुभ काम करना चाहते है हमारे द्वारा बताई गई निम्न बातो को विशेष ध्यान रखिए. योग विचार :- परिघ नामक नैसर्गिक अशुभ योग प्रातः 7.28 तक, तदुपरांत अंतरात्रि 3.08 तक शिव नामक नैसर्गिक शुभ योग रहेगा। करण :- किंस्तुघ्न नामक स्थिर संज्ञक करण अपराह्न 3.23 तक, उसके बाद बवादि चर संज्ञक करण प्रारंभ हो जाएंगे। चंद्रमा :- चंद्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि कुंभ राशि में रहेगा। ग्रह राशि :-नक्षत्र परिवर्तन सूर्यदेव रात्रि 10.51 पर शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। व्रतोत्सव :- गुरुवार को गोपाल कृष्ण गोखले दिवस, छत्रपति शिवाजी जयंती और सम्पूर्ण दिवारात्रि पंचक रहेंगे। शुभ कार्यों के मुहूर्त उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार गुरुवार को शतभिषा नक्षत्र में यथा आवश्यक गृहारम्भ, गृहप्रवेश व वधू-प्रवेश के अशुद्ध (तिथि त्याज्य) मुहूर्त व नामकरण और कूपारम्भ के शुभ मुहूर्त हैं। वारकृत्य कार्य :- गुरुवार को सामान्यतः सभी प्रकार के धार्मिक व मांगलिक कार्य, ज्ञान-विज्ञान-शिक्षा, कला विषयक कार्य, देवप्रतिष्ठा, देवार्चन, नवग्रह पूजन, विद्यारम्भ, नवीन वस्त्राभूषण धारण व निर्माण, नवीन वाहनादि, औषध संग्रह व सेवन और यज्ञ-हवन आदि विषयक कार्य शुभ रहते हैं। दिशाशूल :- गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चंद्र स्थिति के अनुसार गुरुवार को पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।