रतलाम: लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार शाम कलेक्ट्रेट परिसर स्थित खनिज कार्यालय में उपसंचालक खनिज पीके शिल्पी को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया। यह राशि उन्होंने एक ठेकेदार से जमा राशि लौटाने की एवज में मांगी थी। लोकायुक्त कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया। लोकायुक्त पुलिस को ग्राम असावती निवासी महिपाल सिंह उर्फ महेंद्रपाल सिंह पिता नरवरसिंह ने उपसंचालक द्वारा रिश्वत मांगे जानी की शिकायत की थी। लोकायुक्त डीएसपी एमएस शक्तावत ने बताया कि फरियादी महिपाल ने वर्ष 2009-10 के लिए जावरा तहसील के ग्राम भड़का की रेत खदान नीलामी में ठेके पर ली थी। इस दौरान उसने विभाग को 18 हजार रुपए नकद एवं 20 हजार रुपए की एफडी जमा करवाई थी। वर्ष 2013-14 में उसने ग्राम शक्करखेड़ी की रेत खदान लीज पर ली थी, लेकिन शासन स्तर से ठेका निरस्त कर दिया गया था। इस ठेके लिए विभाग में 38500 रुपए नगद जमा करवाए गए थे। इन दोनों ठेकों की कुल 76 हजार 500 रुपए की राशि वापस लेने के लिए महिपाल को उपसंचालक खनिज ने परेशान कर दिया था। इससे खफा होकर उसने 3 फरवरी को की गई शिकायत में बताया कि जमा राशि वापस देने के लिए खनिज अधिकारी शिल्पी 20 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं। लोकायुक्त टीम ने इसपर योजना बनाकर उसे 15 हजार रुपए देने के लिए कहा। बुधवार शाम 4 बजे महिपाल सिंह केमिकल लगे नोट लेकर खनिज कार्यालय पहुंचा और उसने जैसे ही यह राशि उपसंचालक को दी, लोकायुक्त टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से 2-2 हजार के तीन व 500-500 रुपए के 18 नोट जब्त किए गए। टीम द्वारा उनके हाथ धुलवाए जाने पर पानी का रंग लाल हो गया। टीम में डीएसपी श्री शक्तावत के साथ निरीक्षक दिनेश रावत, इंदलसिंह रावत, प्रधानआरक्षक समीर खान, आरक्षक संदीप कदम, मो.इसरार खान, विशाल रेशमिया, सहायक ग्रेड 2 अशोक खत्री, चालक कमल पटेल शामिल थे। 50 हजार की जमानत पर रिहा हुए शिल्पी लोकायुक्त डीएसपी श्री शक्तावत के अनुसार उपसंचालक खनिज शिल्पी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवाकरण अधिनियम की धारा 7, 13(1)(डी) तथा 13(2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। उन्हें देर शाम 50 हजार रुपए की जमानत पर रिहा किया गया। इधर पीके शिल्पी का कहना है कि उन्हें षडयंत्रपूर्वक फंसाया गया है। फरियादी महिपाल को वे दो वर्ष की जमा राशि लौटा चुके थे। वर्ष 2010 की राशि संबंधी फाइल नहीं मिल रही थी, और 2013-14 की फाइल उन तक नहीं पहुंची थी। राशि का भुगतान बैंक खाते में सीधे होता है।