तमिलनाडु की पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के फैसले को पलटते हुए राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक ने शनिवार को बोला है कि राज्य का स्थापना दिवस अब एक नवबंर के बजाय 18 जुलाई को सेलिब्रेट किया जाने वाला है। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की इस एलान की अन्नाद्रमुक ने आलोचना की है और इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध' करार भी दे दिया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने 2019 में एलान किया था कि समाज के विभिन्न तबकों से आग्रह मिलने के उपरांत तमिलनाडु दिवस एक नवंबर को मनाया जाएगा। शनिवार को मुख्यमंत्री स्टालिन ने बोला है कि एक नवंबर, 1956 को देश में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया था इसके उपरांत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के कुछ भागों को तत्कालीन मद्रास राज्य से ‘निकाल' अलग कर दिया गया था। उन्होंने बोला है कि पिछली सरकार ने 2019 से एक नवंबर को तमिलनाडु दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया है। उन्होंने एक बयान में कहा है कि हालांकि, राजनीतिक दलों, तमिल विद्वानों, कार्यकर्ताओं और संगठनों सहित अन्य इस बात पर जोर दे रहे थे कि एक नवंबर सिर्फ ‘सीमा संघर्ष' का प्रतीक है और इस दिवस को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाना उचित नहीं होने वाला है। मुख्यमंत्री ने बोला है कि उन्होंने (विभिन्न सामाजिक तबके) सलाह दी कि 18 जुलाई को ही तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए, जब दिग्गज नेता सी एन अन्नादुरई की अगुवाई में एक विधानसभा विधेयक के माध्यम से इसे मौजूदा नाम दिया था। मोरबी: घड़ी-बल्ब बनाने वाली कंपनी को मिला था पुल की मरम्मत का ठेका, 5 दिन में ही टूट गया ब्रिज 'युवा शहीद होने को तैयार, लेकिन सरकार उन्हें पेंशन नहीं देगी..', अग्निवीर को लेकर भाजपा पर भड़कीं प्रियंका 'हमें बांटने वाली ताकतों को जवाब देना होगा..', राष्ट्रीय एकता दिवस पर बोले पीएम मोदी