चेन्नईः अर्थशास्त्र में योगदान के लिए भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और एक अन्य अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के लिए 2019 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। अभिजीत वर्तमान में अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। 58 साल के अभिजीत और एस्थर को वैश्विक स्तर पर गरीबी को कम करने को लेकर किए गए कार्यो के लिए ये सम्मान दिया गया है। अभिजीत बनर्जी अक्सर वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते रहते हैं। इसलिए उनका उस अंदाज में स्वागत नहीं किया गया, जैसा किया जाना चाहिए। तमिलनाडु के बीजेपी प्रवक्ता ने अभिजीत को नोबेल पुरस्कार मिलने पर उनका मजाक उड़ाया है। भाजपा तमिलनाडु के प्रवक्ता एसजी सूर्या ने अभिजीत बनर्जी को यह कहते हुए बधाई दी कि अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार तकनीकी रूप से नोबेल नहीं होता। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अर्थशास्त्र श्रेणी के लिए कोई नोबेल पुरस्कार नहीं है! अभिजीत बनर्जी ने जो जीता है वो इकनॉमिक्स साइंस के लिए अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाने वाला पुरस्कार है और उसके लिए उन्हें बधाई! इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट में एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया। नोबेल प्राइज की ऑफिशल वेबसाइट पर दी गई डिटेल के स्क्रीनशॉट में था कि इकनॉमिक्स साइंस के लिए दिया जाना वाला पुरस्कार नोबेल पुरस्कार नहीं है। बता दें कि अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में महाराष्ट्र के धुले में हुआ। पिता दीपक बनर्जी और मां निर्मला बनर्जी दोनों ही कोलकाता के जाने माने प्रोफेसर थे। पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर थे और मां कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं। दाऊद इब्राहिम से संबंधों को लेकर घिरे प्रफुल्ल पटेल, भाजपा ने किया जोरदार हमला नोबेल विजेता अभिजीत के बयान पर सिब्बल ने दी पीएम मोदी को दी यह सलाह राजस्थान के शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान, कहा- आरएसएस ने भाजपा पर कर लिया है कब्ज़ा