नई दिल्लीः देश में सोना निकालने की अग्रणी कंपनी तनिष्क 80 किलो धूल और वेस्ट सामग्री को एकत्र कर उससे सोना निकालती है। सुनने में यह थोड़ा अजीब लग रहा है। मगर यह सत्य है। काम कर रहे कर्मचारी व अधिकारियों के कपड़े, कारीगरों के हाथ धोने वाले पानी व चप्पल में लगी धूल को एकत्र कर एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) की मदद से सोना निकाला जाता है। टाइटन इंडस्ट्रीज की ज्वैलरी डिवीजन तनिष्क इस बार दीपावली पर अपने नए प्लांट, आधुनिक मशीनों और आयातित कच्चे माल की बदौलत शुद्ध गहनों की रणनीति लेकर आ रही है। उत्तराखंड में पंतनगर स्थित तनिष्क यूनिट में अमेरिका व जर्मनी से खरीदी गई अत्याधुनिक मशीनों में प्रतिदिन 1,100 चेन, अंगूठी व हार सहित अन्य ज्वैलरी तैयार की जा रही है। तनिष्क इस कच्चे माल के तौर पर प्रयोग होने वाला जिंक, सिल्वर व कॉपर अमेरिकी बाजारों से खरीदती है। हालांकि, भारत में इसका दाम छह गुना सस्ता है लेकिन कंपनी का दावा है कि ग्राहकों को शुद्धता और क्वालिटी देने के लिए ही बाहर से महंगा माल मंगाया जा रहा है। देश में इन दिनों लगातार सोना के भाव में बढ़ोतरी हो रही है। सोना अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। भारत में सोना को पवित्र धातु के रूप में देखा जाता है। मुकेश अंबानी के परिवार पर कानून का शिकंजा, 'ब्लैक मनी एक्ट' के तहत आयकर विभाग ने भेजा नोटिस SBI की ऊंची उड़ान, 10 हजार फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में खोली नई ब्रांच MMTC का बड़ा ऐलान, पाकिस्तान से प्याज़ आयात नहीं करेगा हिंदुस्तान