आप सभी को बता दें कि इस साल ताप्ती जयंती 6 जुलाई, बुधवार को मनाई जाने वाली है। जी हाँ और प्रतिवर्ष ताप्ती जन्मोत्सव आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। जी दरअसल यह देश की प्रमुख नदियों में से एक है। अब हम आपको बताते हैं पुराणों में माँ ताप्ती की जन्म कथा। Koo App તાપી તાપી માતાતાપી, તાપીપાપ નિવારણી, અષાઢે જન્મી સપ્તમી, સૂર્યપુત્રી નમઃ સ્તુભ્યમ.... તાપી મૈયાના પ્રાકટ્ય દિવસે સહુ સુરતીઓને શુભકામનાઓ... આવો, આપણે સહુ તાપી નદીને સ્વચ્છ રાખવાનો સંકલ્પ કરીએ. ????????#જય_તાપી_માતા???????? #તાપીમાતકીજય #purneshmodi24x7 View attached media content - MLA PURNESH MODI (@purneshmodi) 6 July 2022 माँ ताप्ती की कथा- सूर्यपुत्री ताप्ती की जन्म कथा महाभारत में आदिपर्व पर उल्लेखित है। पुराणों में सूर्य भगवान की पुत्री तापी, जो ताप्ती कहलाईं, सूर्य भगवान के द्वारा उत्पन्न की गईं। कहते हैं भगवान सूर्य ने स्वयं की गर्मी या ताप से अपनी रक्षा करने के लिए ताप्ती को धरती पर अवतरित किया था। वहीं भविष्य पुराण में ताप्ती महिमा के बारे में लिखा है कि सूर्य ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा/ संजना से विवाह किया था। संजना से उनकी 2 संतानें हुईं- कालिंदनी और यम। उस समय सूर्य अपने वर्तमान रूप में नहीं, वरन अंडाकार रूप में थे। संजना को सूर्य का ताप सहन नहीं हुआ, अत: वे अपने पति की परिचर्या अपनी दासी छाया को सौंपकर एक घोड़ी का रूप धारण कर मंदिर में तपस्या करने चली गईं। छाया ने संजना का रूप धारण कर काफी समय तक सूर्य की सेवा की। सूर्य से छाया को शनिचर और ताप्ती नामक 2 संतानें हुईं। इसके अलावा सूर्य की 1 और पुत्री सावित्री भी थीं। सूर्य ने अपनी पुत्री को यह आशीर्वाद दिया था कि वह विनय पर्वत से पश्चिम दिशा की ओर बहेगी। जी दरअसल पुराणों में ताप्ती के विवाह की जानकारी भी मिलती है। जी दरअसल वायु पुराण में लिखा गया है कि कृत युग में चन्द्र वंश में ऋष्य नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे और उनके एक सवरण को गुरु वशिष्ठ ने वेदों की शिक्षा दी। एक समय की बात है कि सवरण राजपाट का दायित्व गुरु वशिष्ठ के हाथों सौंपकर जंगल में तपस्या करने के लिए निकल गए। वैभराज जंगल में सवरण ने एक सरोवर में कुछ अप्सराओं को स्नान करते हुए देखा जिनमें से एक ताप्ती भी थीं। वहीं ताप्ती को देखकर सवरण मोहित हो गया और सवरण ने आगे चलकर ताप्ती से विवाह कर लिया। सूर्यपुत्री ताप्ती को भाई शनिचर (शनिदेव) ने आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई-बहन ताप्ती और यमुनाजी में स्नान करेगा, उनकी कभी भी अकाल मौत नहीं होगी। हर साल कार्तिक माह में सूर्यपुत्री ताप्ती के किनारे बसे धार्मिक स्थलों पर मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु नर-नारी कार्तिक अमावस्या पर स्नान करने के लिए आते हैं। अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं कृपाचार्य, जानिए उनका जन्म की कथा गुरु पूर्णिमा के दिन बन रहे हैं 4 शुभ योग, अगर आपका नहीं है कोई गुरु तो इनकी करें पूजा गुरु पूर्णिमा: कौरव-पांडवों के गुरु थे द्रोणाचार्य, जानिए उनकी जन्म कथा