गुरुवार को काफी दिनों बाद बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने फेसबुक अकाउंट से दिल की बात की. अपने पोस्ट में तेजस्वी ने लिखा कि जिस देश या राज्य की आबादी का जितना प्रतिशत गरीबी और हाशिए के अंतिम पायदान पर खड़ा होता है, उस राज्य के लिए एक संवेदनशील सरकार का होना उतना ही जरूरी होता है. हैदराबाद : विधायक की पत्नी और बेटे ने पुलिस को दी धमकी, मुकदमा दर्ज आगे उन्होने कहा कि हर नीतिगत निर्णय, सरकार व प्रशासन की चपलता या शिथिलता का सीधा-सीधा कमजोर वर्गों और गरीबों की सुरक्षा, आय और जीवन स्तर पर पड़ता है. बिहार एक ऐसा ही राज्य है, जिसकी बहुसंख्यक आबादी की आय राष्ट्रीय औसत से कम है. और यह तब है, जब लगभग पिछले 14 वर्षों से ऐसी सरकार रही है जो अपने आप को सुशासन या डबल इंजन की सरकार कहने से नहीं अघाती. यूपी में पुलिस एनकाउंटर का खौफ, दो ईनामी बदमाशों ने किया आत्मसमर्पण इसके अलावा उद्योग धंधे, पूंजी निवेश, रोजगार के अवसर तो नदारद रहे, फिर भी स्वघोषित सुशासन! शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं व निर्धन नागरिकों का जीवन स्तर सहारा अफ्रीका से भी बदतर. कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं, ऊपर से भ्रष्टाचार, भू माफिया और महंगाई की मार सहते विकल्पहीन नागरिक! सुशासन का अर्थ कोई गुणात्मक सुधार नहीं, बल्कि उसके पहले के यानि आज से 25-30 वर्ष पूर्व के कार्यकाल का हौआ खड़ा करने और अपनी हर नाकामी पर उसे कोसने की आदत भर है. उन्नाव केस : छात्रा ने पूछ लिया इतना गंभीर सवाल, एक शब्द भी बोल नहीं सके पुलिस अधिकारी सरकारी स्कूल में घुसकर मारा छात्र को चाकू, मौत महज दस रूपये नहीं देने पर कर दी दोस्त की हत्या