पटना: वैसे तो विधानसभा चुनाव पश्चिम बंगाल में हो रहे हैं, लेकिन उसकी आंच बिहार की सियासत तक भी पहुंच रही है. पश्चिम बंगाल में अभी तक जो तस्वीर सामने आई है, उसके अनुसार, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा अकेले-अकेले चुनावी मैदान में है, जबकि कांग्रेस ने लेफ्ट पार्टीज के साथ दोस्ती कर ली है. वहीं, बिहार और झारखंड में कांग्रेस के साथ मित्रता निभाने वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को मदद देने का ऐलान कर दिया है. आरजेडी के इस फैसले को बिहार के कांग्रेसी नेता पचा नहीं पा रहे हैं. राजद नेता तेजस्वी यादव के पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम कर बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया है. इसके बाद बिहार की सियासत भी गर्म हो गई है. राजद के इस फैसले से बिहार के कांग्रेसी भी खुश नहीं हैं. आरजेडी के एक नेता ने कहा है कि तेजस्वी यादव पार्टी के विस्तार के लिए निरंतर मेहनत कर रहे हैं. कठिन परिश्रम के बाद भी बिहार हाथ से निकल जाने के बाद राजद ने देश के दूसरे राज्यों में विस्तार के प्रयास तेज कर दिए हैं. पार्टी नेता तेजस्वी यादव की नजर असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधंन कर आगामी विधान सभा चुनाव लड़ेगी. बता दें कि तेजस्वी यादव ने अपने दो दिनों की असम यात्रा के दौरान कांग्रेस प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा, AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल से मुलाकात की थी. बताया जा रहा है कि भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए राजद इसी गठबंधन के साथ असम चुनाव में उतरेगी. राजद असम में पहले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि राजद की लोकप्रियता बढ़ी है. आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव दक्षिण समेत अन्य राज्यों में भी पॉपुलर हैं. वहीं, कांग्रेस नेताओं को तेजस्वी का ये डबल गेम कुछ समझ नहीं आ रहा है। अमेरिका लागत में हिस्सेदारी पर बातचीत करेगा दक्षिण कोरिया 'इंदिरा गांधी की इमरजेंसी और RSS के कार्यों की तुलना करना राहुल गाँधी का मानसिक दिवालियापन' पाकिस्तान फिर शुरू कर सकता है भारत से कपास का आयात: रिपोर्ट