समायोजित सकल राजस्व देनदारी के बीच जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को यदि राहत नहीं मिली तो इस क्षेत्र में एक बार फिर समेकन देखने को मिल सकता है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने रविवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। इसके अलावा कुछ अन्य ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि यदि सरकार दूरसंचार कंपनियों को राहत देती है तो उसका सुप्रीम कोर्ट से कोई टकराव नहीं हो सकता है। इससे पहले वर्ष 2016 में रिलायंस जियो के आगाज के बाद वोडाफोन और आइडिया का विलय देखने को मिला था। इसके साथ कई कंपनियां बंद हो गई थीं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि यदि कोई खास राहत नहीं मिलती है तो उद्योग के स्वरूप मेें परिवर्तन देखने को मिल सकता है। ब्रोकरेज हाउस ने कहा, ‘यदि नियामकीय लेवी, स्पेक्ट्रम भुगतान और फ्लोर प्राइसिंग जैसी राहत नहीं मिलती हैं तो भारतीय दूरसंचार उद्योग में एक बार फिर से समेकन देखने को मिल सकता है।’ वहीँ एक तरफ आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा, ‘भले ही राहत के लिए सरकार से बातचीत चल रही है, परन्तु देखना होगा कि सरकार सेक्टर में सुधार और विशेषकर वोडाफोन आइडिया को कितनी राहत देती है।’ एसबीआई कैप सिक्योरिटीज ने कहा, ‘किसी भी स्थिति में वोडाफोन आइडिया को परिचालन जारी रखने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी लगानी हो सकती है। फिलहाल कंपनी कह चुकी है अब वह काफी हद तक सरकारी राहत पर निर्भर हो सकती है।’ कंपनी को जुलाई-सितंबर तिमाही में 50,921 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। Airtel दे रहा है डिजिटल टीवी के इन यूज़र्स को 30 दिन की सर्विस बिलकुल फ्री भारत में 1.5 बिलियन बार डाउनलोड हुआ यह एप, जानिये क्या है ख़ास ByteDance : जियो सावन और स्पॉटिफाई को टक्कर देने आया नया म्यूजिक स्ट्रीमिंग एप