दिमाग पर लोड लेते हैं तो बढ़ जाता है समय से पहले मौत का खतरा

मानव जीवन की बेहतरी के लिए विज्ञान में निरंतर खोज और शोध किये जाते हैं. वैज्ञानिक हर समय मानव शरीर के लिए होने वाले संभावित खतरों और कारणों को जानने में लगे रहते हैं ताकि वो किसी निष्कर्ष तक पहुँच कर अपनी बात को दुनिया के सामने रखे और इंसान का जीवन बेहतर बनाने में मदद कर सकें। हाल ही में एक शोध में पाया गया है कि याददाश्त कमजोर होना या अस्वस्थ महसूस करना जैसे मनोवैज्ञानिक कारकों से भी असमय मृत्य दर का खतरा बढ़ने की आशंका है। विशेषकर मध्यम आयुवर्ग और बुजुर्गो में। 6,000 से ज्यादा वयस्कों पर किए गए शोध के नतीजों में यह बात सामने आई है कि बेहतर स्वास्थ्य और कार्यविधि की कम रफ्तार मृत्युदर जोखिम कम करने में मददगार हो सकती है।

स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा के वैज्ञानिक स्टीफन ऐश्ले ने कहा कि यह निष्कर्ष उन स्वास्थ्य पेशेवरों को उपयोगी जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं, जिन्हें असमय मृत्यु के जोखिम का पता लगाने के लिए बेहतर तरीकों की जरूरत है। शोध में निष्कर्ष निकला कि दो मनोवैज्ञानिक कारण, खराब स्वास्थ्य और आयु-संबंधी ह्रास मध्यम आयुवर्ग और वयस्कों में उच्च मृत्यु दर जोखिम का अहम संकेतक जान पड़ते हैं। महिला होने को भी मृत्यु दर का जोखिम कम होने से जोड़कर देखा गया है। तंबाकू धूम्रपान को असमय मृत्यु का खतरा बढ़ाने से जोड़कर देखा गया है।

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