जम्मू कश्मीर में आतंक पीड़ित परिवारों को मिलेगा आरक्षण, गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला

श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से पीड़ित परिवारों को राहत देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब जम्मू कश्मीर के सरकारी कॉलेजों में MBBS और BDS जैसे मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के लिए आतंकवाद से पीड़ित परिवारों के बच्चों को आरक्षण प्रदान किया जाएगा। हालांकि, यह फैसला अभी केवलअकादमिक वर्ष 2022-23 के लिए ही लागू रहेगा। यह आगे भी लागू रहेगा या नहीं, इस पर गृह मंत्रालय भविष्य में फैसला लेगा। गृह मंत्रालय के फैसले के अनुसार, आतंकवाद से पीड़ित लोगों के पति या पत्नी  या फिर बच्चों को  आरक्षण प्रदान किया जाएगा। मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना को उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली सरकार ने भी हरी झंडी दे दी है। 

गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उन बच्चों को तरजीह दी जाएगी, जिन्होंने आतंकी हमलों में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया हो। अगर किसी परिवार के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति की आतंकी हमले में हत्या हुई है या फिर वह दिव्यांग हो गया है, तो उसके परिजनों को भी यह आरक्षण मिलेगा। यह कोटा उन लोगों के लिए रहेगा, जो जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी होंगे। साथ ही जम्मू कश्मीर में रहने वाले राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों के परिजनों को भी यह आरक्षण दिया जाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से इस कोटे के लाभ के लिए न्यूनतम योग्यता भी निर्धारित कर दी गई है।

अधिसूचना में कहा गया है कि फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों में कम से कम 50 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले लोगों को ही यह कोटा मिलेगा। बता दें कि SC, ST, OBC के लिए 40 फीसदी अंकों की सीमा निर्धारित की गई है। वहीं, दिव्यांग वर्ग के लिए 45 फीसदी अंक होना आवश्यक है। MBBS और BDS कोर्सेज में दाखिले के लिए NEET एग्जाम की मेरिट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। गृह मंत्रालय का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक पीड़ितों को मिलने वाला यह कोटा केंद्रीय पूल के तहत आने वाली सीटों पर ही लागू होगा।

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